सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है? गर्दन दर्द: लक्षण, कारण और उपचार
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है (Cervical Spondylosis Kya Hai): सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस एक ऐसी समस्या है जिसका असर गर्दन से शुरू होकर कंधों तक पहुंच जाता है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे गर्दन में दर्द, गर्दन में दर्द के साथ बाजू में दर्द और हाथों में सुन्नता। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis) का शुरुआती चरणों में पता लगाना बहुत मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह लोगों को एक आम दर्द जैसा लगता है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आप इस लेख को अवश्य पढ़ें क्योंकि इसमें आपको सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है (गर्दन के दर्द) से जुड़ी जरूरी जानकारी मिलेगी।
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है (Cervical Spondylosis Kya Hai)?
Cervical Spondylosis उन लोगों को ज्यादा परेशानी होती है जो घंटों ऑफिस में बैठकर गर्दन झुकाकर लगातार काम करते हैं। यह दर्द सिर्फ कंधों तक ही नहीं बल्कि लापरवाही के कारण आपकी रीढ़ को भी जकड़ लेता है, जो बाद में काफी परेशान करने का काम करता है।
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सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है (गर्दन का दर्द क्या है) ?
गर्दन के दर्द को सर्वाइकल पेन कहते हैं, जिसमें लोगों को गर्दन में अकड़न महसूस होती है। सर्वाइकल पेन गर्दन में होने वाला दर्द या सूजन है और जिसे ठीक करने के लिए लोग तरह-तरह के व्यायाम, योगा इत्यादि करते हैं। आमतौर पर यह समस्या थोड़े आराम या व्यायाम से ठीक हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह अधिक समय तक भी रह सकती है।
सर्वाइकल पेन के लक्षण (गर्दन दर्द के लक्षण क्या हैं) ?
किसी अन्य बीमारी या स्वास्थ्य समस्या की तरह, गर्दन दर्द (Cervical Pain) के भी अपने लक्षण होते हैं, जो इसकी शुरुआत का संकेत देते हैं। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को अपने शरीर या गर्दन में ये लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत डॉक्टरी सहायता लेनी चाहिए-
1. सिर को लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रखने पर दर्द होना
गर्दन में दर्द का मुख्य लक्षण सिर को एक ही मुद्रा या दिशा में लंबे समय तक रखने के बाद दर्द होता है। ऐसे में लोगों को सिर सीधा करने के लिए दूसरे लोगों की मदद लेनी पड़ती है।
2. सिरदर्द
गर्दन के दर्द का एक अन्य लक्षण सिरदर्द भी है। सामान्य तौर पर, सिरदर्द कई कारणों से हो सकता है, जिससे लोगों के लिए यह समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि ये सिरदर्द, गर्दन में दर्द के कारण भी हो सकता हैं।
3. सिर हिलाने में दिक्कत
अगर किसी व्यक्ति को सिर या गर्दन हिलाने में परेशानी होती है तो उसे इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह गर्दन की हड्डी बढ़ने के लक्षण हो सकते है। गर्दन को दाएं-बाएं घुमाने में दर्द या जकड़न, सिरदर्द के साथ चक्कर आना सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में रोगी को उठने-बैठने व चलने-फिरने में भी दिक्कत हो सकती है।
4. मांसपेशियों में अकड़न
इस समस्या का एक अन्य लक्षण मांसपेशियों में अकड़न है। ऐसे में लोगों के शरीर में दर्द होता है, जिसके लिए उन्हें अक्सर दर्द निवारक दवाएं लेने या डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है।
5. गर्दन में गांठ
गर्दन में गांठ भी गर्दन के दर्द का संकेत हो सकता है, जिसे किसी भी व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और बिना देर किये, चिकित्सकीय सहायता ले लेनी चाहिए।
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गर्दन में दर्द होने का क्या कारण है ?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, गर्दन का दर्द एक बहुत ही आम समस्या बन गई है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, इसलिए सटीक कारण का पता लगाना काफी मुश्किल है। इसके बावजूद गर्दन के दर्द पर किए गए अध्ययनों से स्पष्ट है कि यह समस्या निम्न कारणों से हो सकती है –
1. गर्दन को गलत पोजीशन में रखना
गर्दन के दर्द का मुख्य कारण गर्दन को गलत पोजीशन में रखना है। यह मुख्य रूप से मोबाइल फोन, लैपटॉप, लेटने, खाने आदि की स्थिति में होता है।
2. गलत तरीके से सोना
अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से सोता है, तो गर्दन में दर्द होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
3. चोट लगना
अक्सर चोट लगने से भी गर्दन में दर्द हो सकता है। यह मुख्य रूप से खेल में चोट लगने या अन्य गतिविधियों को करते समय चोट लगने के कारण होता है।
4. कमजोर हड्डियाँ
अगर किसी व्यक्ति के शरीर की हड्डियाँ बहुत कमजोर हैं, तो उसे गर्दन में दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
5. किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित
कई बार गठिया जैसे रोग भी गर्दन में दर्द का कारण बन सकते हैं। ऐसे में इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपना इलाज ठीक से करवाना चाहिए ताकि उन्हें किसी और परेशानी से न गुजरना पड़े।
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गर्दन के दर्द का पता कैसे लगाएं?
गर्दन में दर्द के कई ऐसे मामले होते हैं, जिनमें यह कई गंभीर समस्याओं का कारण बन जाता है। यह मुख्य रूप से गर्दन के दर्द को समय पर न पहचान पाने का नतीजा है, जिससे पीड़ित लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
इसलिए जरूरी है कि गर्दन के दर्द का सही समय पर पता लगाया जाए ताकि उसका इलाज शुरू किया जा सके। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को गर्दन में किसी भी तरह की परेशानी महसूस होती है तो वह निम्नलिखित तरीकों से पता कर सकते है कि उनके गर्दन में दर्द के कारण क्या है तथा दर्द कहाँ और क्यों है ?
1. एक्स-रे (X-Ray)
गर्दन के दर्द का निदान करने का सबसे आसान तरीका एक्स-रे कराना है। ऐसे में गर्दन का एक्स-रे किया जाता है ताकि दर्द के सही हिस्से का पता लगाया जा सके।
2. सीटी स्कैन (CT Scan)
अक्सर, सीटी स्कैन से भी इस समस्या की पुष्टि करना संभव होता है। गर्दन के अंदरूनी हिस्से की निगरानी सीटीस्कैन द्वारा की जाती है।
3. एमआरआई (MRI)
कभी-कभी, डॉक्टर गर्दन के दर्द का निदान करने के लिए एमआरआई का भी सहारा लेते हैं।
4. ईएमजी (Electromyography)
वर्तमान समय में इस बीमारी के निदान के लिए ईएमजी नामक परीक्षण का भी उपयोग किया जा रहा है। इसे इलेक्ट्रोमोग्राफी के रूप में जाना जाता है, इसे तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का दर्द एक नस (गर्दन की नसों में दर्द) से जुड़ा होता है।
5. ब्लड टेस्ट
कभी-कभी ब्लड टेस्ट करवाना भी गर्दन के दर्द के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह टेस्ट शरीर में आंतरिक सूजन के बारे में जानकारी देने में मदद करता है।
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गर्दन के दर्द का इलाज कैसे किया जा सकता है?
जैसे ही किसी व्यक्ति को पता चलता है कि वह गर्दन के दर्द से पीड़ित है, तो उसे अपना इलाज शुरू करा देना चाहिए। वह जितना जल्दी अपना इलाज शुरू करेगा, उसे उतना ही कम खतरे का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार यदि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति चाहता है कि उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े तो उसे निम्नलिखित प्रकार से अपने गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए।
1. गर्दन की एक्सरसाइज
गर्दन के दर्द का इलाज व्यायाम से किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ इस दर्द से पीड़ित लोगों को गर्दन की एक्सरसाइज करने में मदद करते हैं।
2. फिजियोथेरेपी थेरेपी
थेरेपी की मदद से गर्दन के दर्द को भी कम किया जा सकता है। इस प्रकार की थेरेपी इस दर्द को कम करने के साथ-साथ इससे पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करने में मदद करती है।
3. गर्दन दर्द के लिए एक्यूप्रेशर
किसी अनुभवी एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट की देख रेख में आप एक्यूप्रेशर चिकित्सा का लाभ उठा सकते है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा दर्द को कम करने के साथ-साथ इससे छुटकारा दिलाने में भी मदद करती है।
उदाहरण के लिए – दोनों हांथो के अंगूठों को नाख़ून की तऱफ से उसके बेस तक एक्यूप्रेशर रोलर से 2 से 5 मिनट तक रोल करें और जहां ज़्यादा दर्द का अनुभव हो वहां धीरे धीरे रोल का दबाव बढ़ाये, इससे आपको एक सप्ताह के अंदर बहुत लाभ मिल सकता है।
4. मेडिसिन
कई बार डॉक्टर गर्दन के दर्द से पीड़ित लोगों को दवा भी दे देते हैं। ये दवाएं मुख्य रूप से इस दर्द को कम करने के साथ-साथ इसे फैलने से भी रोकती हैं।
5. स्टेरॉयड इंजेक्शन
अक्सर गर्दन के दर्द को कम करने के लिए स्टेरॉयड इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इन इंजेक्शनों को गर्दन के दर्द वाले हिस्से पर लगाया जाता है, जिससे इससे पीड़ित लोगों को आराम मिलता है।
6. सर्जरी
जब गर्दन का दर्द किसी अन्य तरीके से ठीक नहीं होता है, तो इसके इलाज के लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। इसलिए सर्जरी भी गर्दन के दर्द को कम करने का एक कारगर तरीका है।
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गर्दन के दर्द के लिए स्वयं उपचार कैसे करें?
हालांकि गर्दन के दर्द का इलाज चिकित्सा सहायता से किया जा सकता है, परन्तु गर्दन का दर्द ठीक करने के घरेलू उपाय जैसे स्व-उपचार भी किया जा सकता है। यह सबसे किफायती और आसान तरीका है, जो गर्दन के दर्द के शुरुआती चरण में किया जा सकता है। इसलिए अगर कोई गर्दन के दर्द से परेशान है तो वह निम्नलिखित तरीकों से इससे निजात पा सकता है-
1. योगा
योग के जरिए गर्दन के दर्द को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए संगासन, मत्स्यासन, सेसुबंधासन जैसे योगासन करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
2. व्यायाम
गर्दन के दर्द के लिए योग के अलावा व्यायाम भी किया जा सकता है। इसके लिए दाएं-बाएं घुमाकर, गर्दन को आगे-पीछे घुमाकर, गर्दन को ऊपर-नीचे घुमाकर आदि (आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज) व्यायाम किए जा सकते हैं।
3. गर्दन पर गर्म या बर्फ के टुकड़े का प्रयोग करना
अक्सर गर्दन पर गर्म पानी या बर्फ के टुकड़े रखने का प्रयोग करना इस दर्द के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसे में ऐसा करने से गर्दन का दर्द कम हो सकता है।
4. सिकाई
शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द की तरह, गर्दन के दर्द के लिए सिकाई भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इसलिए इस पोजीशन में ऐसा किया जा सकता है जिससे इस दर्द को कम किया जा सके।
5. गर्दन को धीरे-धीरे हिलाना
चूंकि गर्दन में दर्द होने पर गर्दन अकड़ जाती है, इसलिए उनके लिए गर्दन को हिलाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में गर्दन को धीरे-धीरे से हिलाना मददगार तरीका साबित हो सकता है।
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सर्वाइकल पेन को कैसे रोका जा सकता है?
वैसे तो कई लोग गर्दन के दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य समस्या की तरह स्पांडिलाइसिस से बचना संभव है। इस कारण से यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित उपाय करे तो वह इस समस्या से बच सकता है –
1. सही मुद्रा में रहना
स्पांडिलाइसिस से बचने का सबसे आसान तरीका है गर्दन को सही मुद्रा में रखना। ऐसा करने से गर्दन की मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे दर्द से बचा जा सकता है।
2. काम के बीच में ब्रेक लेना
गर्दन को लंबे समय तक एक ही दिशा या मुद्रा में रखने से गर्दन में दर्द होता है। इसलिए इस दर्द से बचने के लिए काम के बीच में ब्रेक लेना चाहिए ताकि गर्दन को आराम मिल सके।
3. फोन को कान और कंधे के बीच न रखें
हममें से कुछ लोगों को फोन को कान और कंधे के बीच रखने की आदत होती है। ऐसा करने से कभी-कभी गर्दन में दर्द जैसी समस्या हो सकती है, इसलिए हमें इससे बचना चाहिए ताकि इस दर्द से बचा जा सके।
4. सही मुद्रा में सोना
जैसा कि ऊपर बताया गया है, गर्दन का दर्द भी सही मुद्रा में ना सोने का परिणाम है। इसलिए हमें सही मुद्रा में सोना चाहिए ताकि हमें गर्दन दर्द जैसी समस्या न हो।
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आज के तकनीकी युग में जहां हम सभी गैजेट्स से घिरे हुए हैं, वहीं कई स्वास्थ्य समस्याएं भी फैल रही हैं। इनमें गर्दन का दर्द भी शामिल है, जिसके कारण लोगों को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। आमतौर पर काम के बोझ के कारण हम इस समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं, जो बाद में गंभीर रूप ले लेती है।
इसलिए जरूरी है कि गर्दन के दर्द को नजरअंदाज न किया जाए और उसका सही समय पर सही इलाज किया जाए। इस प्रकार, हम आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस क्या है की जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी और आप गर्दन के दर्द को रोकने के साथ-साथ इसका ठीक से इलाज करने में सक्षम होंगे।
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