बवासीर का रामबाण इलाज, लक्षणों के आधार पर आजमाएं हुए बचाव के जबरदस्त घरेलू उपाय

बवासीर का रामबाण इलाज (Bawaseer Ka Ramban ilaj): मनुष्य के स्वास्थ्य पर पाचन तंत्र की बहुत बड़ी भूमिका होती है, यदि मानव का पाचन तंत्र ठीक से काम कर रहा हो तो व्यक्ति को किसी भी प्रकार के बाहरी रोग होने की संभावना कम होती है, लेकिन यदि पाचन तंत्र ही कमजोर हो तो व्यक्ति को कई तरह की बीमारी से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्ही में से एक है बवासीर, जो आजकल के गलत खान-पान की वजह से हर घर में किसी न किसी को हो जाती है। तो आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि बवासीर क्या है, बवासीर कैसे होता है और  bavasir ka ramban ilaaj kya hai ?

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बवासीर का रामबाण इलाज
bawaseer ramban ilaj

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बवासीर क्या है?

एक ऐसी बीमारी है बवासीर, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के गुदा के अंदर और बाहर सूजन हो जाती है। जिससे गुदा के अंदर या बाहर की त्वचा मस्से जैसी हो जाती है और कई बार इससे खून बहने के साथ दर्द भी होता है। जब इससे पीड़ित व्यक्ति मल त्याग के दौरान जोर लगाते हैं तो ये मस्से बाहर निकल आते हैं। इस समस्या के कारण व्यक्ति को बैठने में भी परेशानी होती है।

कई बार शर्मिंदगी की वजह से लोग शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं देते जिससे बाद में परेशानी बढ़ जाती है। परन्तु अगर लोगो को पता हो कि बवासीर के घरेलू उपचार क्या क्या है तो बवासीर के उपचार में बहुत परेशानी नहीं होगी। बवासीर दो प्रकार की होती है, खुनी बवासीर और बादी बवासीर। 

1. बवासीर के कारण

  • कब्ज की समस्या। कब्ज के कारण पेट साफ नहीं होना और मल त्याग करने के लिए ज़ोर लगाना, जिससे बवासीर की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • जो लोग ज्यादा देर तक खड़े रहकर काम करते हैं, उन्हें भी पाइल्स की समस्या हो जाती है।
  • बवासीर होने का एक कारण मोटापा भी है।
  • गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को पाइल्स की समस्या भी हो जाती है।
  • यह समस्या डिलीवरी के बाद भी हो सकती है, ये महिला बवासीर के लक्षण है।
  • अगर परिवार में किसी को बवासीर है, तो आपको इसके होने का खतरा बढ़ जाता है।

2. बवासीर के लक्षण

  • मल त्याग के दौरान दर्द और रक्त या मवाद आना।
  • गुदा के आसपास सूजन या गांठ जैसा होना।
  • गुदा के आसपास खुजली।
  • ऐसा महसूस होना कि मल त्याग करने के बाद भी पेट साफ नहीं हुआ है।

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बवासीर को ठीक करने के घरेलू उपाय

आजकल गलत खान-पान की वजह से हर घर में किसी न किसी को बवासीर हो जाती है। बवासीर होने का मुख्य कारण पेट या पाचन तंत्र में गड़बड़ी होना है, जो धीरे-धीरे बवासीर में बदलने लगता है। बवासीर एक बहुत ही परेशान करने वाली बीमारी है। बवासीर में बहुत दर्द होता है।

यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इस रोग के कारण आपके मल त्याग की जगह पर मस्से निकल आते हैं। जब आप मल त्याग करने जाते हैं। तब आपको असहनीय दर्द का अनुभव होता है। बवासीर आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की होती है। अगर आपके परिवार में भी किसी को यह समस्या है।

तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको कुछ विशेष घरेलू उपचारों की आवश्यकता होगी। जिसकी मदद से आप इसे दूर कर सकते हैं। इसलिए आज हम आपको पाइल्स का इलाज हिंदी में बताने जा रहे हैं। जो बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज है, यह आपके बवासीर को जड़ से खत्म कर देगा।

1. दूध और नींबू 

इसके लिए आपको एक कप दूध और आधा रसदार नींबू लेना है। सर्वप्रथम आपको सुबह सुबह ब्रश करने के बाद, खाली पेट एक कप नार्मल दूध में आधा रसदार नींबू का रस (बिना बीज़) डालकर, बिना दूध फटे तुरंत पी जाना है।

और उसके बाद एक घंटे तक आपको कुछ भी नहीं खाना है। यह आपको लगातार एक सप्ताह करना है। ऐसा करने से आपका बवासीर जड़ से ख़त्म हो जायेगा। अगर आप इस नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं तो आप ऑपरेशन से बच सकते हैं। 

2. कपूर से बवासीर का इलाज (केला और भीमसेनी कपूर)

आपको पके हुए केले और खाने योग्य भीमसेनी कपूर के साथ ये उपाय करना है। जिसे दिन में केवल एक बार ही करना है। जो बहुत ही सरल और असरकारक उपाय है। इसके लिए आपको पहले पके केले को बीच से लंबे में काटना है।

और फिर उसमे भीमसेनी कपूर का एक छोटा टुकड़ा रखकर खा लेना है, इसका स्वाद थोड़ा कड़वा लगता है परन्तु यह बवासीर के रोगी के लिए बहुत लाभदायक होता है।

3. नारियल की जटा (नारियल की बुच) और दही 

सबसे पहले नारियल की जटा जिसे नारियल बुच भी कहा जाता है, को जलाकर राख (नारियाल की जटा भस्म) तैयार कर लें, उसके बाद भस्म को साफ बर्तन में रख लें। रोगी को सुबह खाली पेट एक चम्मच नारियल की राख और एक चम्मच ताजा दही (गाय के दूध वाली) अच्छी तरह मिलाकर सेवन कराना चाहिए।

इस तरह रोगी को लगातार 3 दिन तक सुबह खाली पेट देने से बवासीर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है, चाहे वह किसी भी प्रकार का बवासीर क्यों न हो। यह खूनी बवासीर का रामबाण इलाज है। ( खट्टी दही भूलकर भी नहीं देना है ) 

नोट : ताजा गाय का दूध शाम को नए मिट्टी के बर्तन में उबालकर दही जमाये। और यह प्रक्रिया लगातार तीन दिन करनी है। जब तक ये उपाय कर रहे है। 

– परहेज़

रोगी को हमेशा शराब आदि के सेवन से दूर रहना चाहिए और मांस, अंडे जैसे गरिष्ठ भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, साथ ही इमली जैसे खट्टे पदार्थों से भी बचना चाहिए।

– आहार

रोगी को हमेशा सुपाच्य भोजन करना चाहिए, जैसे आटे से बनी सूखी रोटी, मसूर दाल और  मूंग की दाल का भी सेवन किया जा सकता है। सुपाच्य भोजन करने से रोगी का पाचन ठीक से होगा और लीवर भी अच्छे से काम करना शुरू कर देगा, पाचन तंत्र सही होने से दवा का प्रभाव रोगी पर ठीक से पड़ सकेगा।

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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