कालसर्प योग और कालसर्प योग का निवारण

कालसर्प योग (Kaal Sarp Yog): वैदिक ज्योतिष की तरह लाल किताब में भी कालसर्प योग की चर्चा की गई है। जहां ग्रहों के योग और उनके फल से संबंध में उसकी अपनी मान्यताएं हैं। ज्योतिष की इस विद्या में कालसर्प योग से होने वाले फल और इसके उपायों की चर्चा की गई है, लेकिन कालसर्प को देखने का नजरिया अलग है। 

कालसर्प योग (Kaal Sarp Yog)

कालसर्प योग
kaal sarp yog

लाल किताब कालसर्प को दोष नहीं बल्कि योग मानता है। राहु और केतु कुंडली के विभिन्न भागों में बैठकर 12 तरह के विशेष योग बनाते हैं। जिस प्रकार अन्य ग्रह अलग-अलग भावों में बैठकर शुभ और अशुभ फल देते हैं, उसी प्रकार राहु-केतु भी शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं। 

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कालसर्प योग कैसे बनता है?

ज्योतिष की इस विधा में राहु को सांप का सिर और केतु को उसका दुम माना गया है।  कुंडली में सूर्य से लेकर शनि तक सभी सात ग्रह जब राहु और केतु के बीच में होते हैं, तब कालसर्प योग बनता है। 

कालसर्प योग

राहु के गुण शनि ग्रह जैसे है, वह जिस स्थान में होगा उसका परिणाम देता है। यदि कुंडली में राहु केतु अवरुद्ध हो तो जातक की उन्नति नहीं होती, कामकाज नहीं मिलता, मिलता भी है तो उसमें भी कई तरह की परेशानी आती रहती है। 

विवाह नहीं होता, संतति में बाधा, कर्ज का बोझ, शारीरिक स्वास्थ्य खराब, कठोर परिश्रम का फल नहीं मिलता है। वही कोर्ट कचहरी, झगड़े दोस्तों द्वारा विश्वासघात होता है। ऐसी कई समस्याएं जातक के जीवन में आती रहती हैं। जिससे उसका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। 

चूंकि सर्प अतिचपल होता है, स्वच्छता प्रिय कायापलट करने वाला, सावधान, ज्ञानी, बुद्धिमान और तेजस्वी बुद्धि से सबको घायल करने वाला होता है। इसलिए जब कुंडली में कालसर्प योग बन रहा हो तो उससे संबंधित बताए गए उपाय को अवश्य करना चाहिए। किसी भी उपाय को करने से पहले अपनी कुंडली को किसी विशेषज्ञ से ही दिखाना चाहिए। क्योंकि आमतौर पर सड़क छाप ज्योतिष लोगों को अपने फायदे के लिए भ्रमित भी कर सकते हैं। 

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कालसर्प के प्रभाव और उपाय 

जब मंगल और शनि जन्म कुंडली में एक साथ हो अथवा तथा बारहवें भाव में हो और चंद्रमा चतुर्थ भाव में, तब राहु अशुभ फल नहीं देता है यानी इस स्थिति में कालसर्प बाधक नहीं होता है। लेकिन राहु के अशुभ होने पर दक्षिण की ओर अगर घर का मुख्य द्वार हो तो, आर्थिक परेशानी बनी रहती है। कालसर्प में इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति को मसूर की दाल अथवा कुछ धन सफाई कर्मी को देना चाहिए। 

राहु केतु से पीड़ित होने पर स्वास्थ्य लाभ हेतु रात को सोते समय सिरहाने में जौ रखकर सोना चाहिए और इसे  सुबह पक्षियों को खिलाना चाहिए। 

सरकारी पक्ष से परेशानी होने या रोजी – रोजगार और व्यापार में कठिनाई आने पर अपने वजन के बराबर लकड़ी का कोयला चलते पानी में प्रवाहित करना चाहिए। 

केतु के अशुभ स्थिति से बचाव हेतु दूध में अंगूठा डालकर उसे चूसने चाहिए। सूर्य और चंद्र की वस्तु जैसे सफेद वस्त्र, चांदी और तांबा दान करना चाहिए। 

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कालसर्प योग का निवारण

कालसर्प योग में यदि राहु पहले भाव में और केतु सातवें भाव में हो तो इस स्थिति में जातक को अपने पास चांदी की ठोस गोली रखनी चाहिए। इससे लाभ मिलता है। 

यदि राहु दूसरे और केतु आठवें भाव में हो, तब दो रंगा कंबल दान करना चाहिए।

तीन और नौ में क्रमशः राहु केतु हो तो चने की दाल नदी अथवा ताला में प्रवाहित करें या सोना धारण करें। इससे लाभ मिलता है। 

चतुर्थ भाव में राहु हो और दशम भाव में केतु तब चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाना लाभप्रद होता है। 

पांचवें भाव में राहु ग्यारहवें भाव में केतु स्थित हो तो इसके लिए घर में चांदी का ठोस हाथी रखने से कालसर्प का विपरीत प्रभाव कम होता है। 

छठें में राहु और द्वादश में केतु होने पर कुत्ता पालने और बहन की सेवा करने से लाभ मिलता है। 

कालसर्प योग निदान

सप्तम में राहु हो और प्रथम में केतु तब लाल रंग की लोहे की गोली सदैव साथ रखना चाहिए। साथ ही साथ चांदी की डिब्बी में नदी का जल भरकर उसमें चांदी का एक टुकड़ा डालकर घर में रखना चाहिए। 

नौवें में राहु हो और तीन में केतु, तब चने की दाल बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए।

जिनकी कुंडली में दशम भाव में राहु चौथे भाव में केतु मौजूद हो तो उन्हें पीतल के बर्तन में नदी या तालाब का जल भरकर के अंधेरे कोने में रखना चाहिए। 

इसी तरह ग्यारहवें और पांचवें भाव में क्रमशः उपस्थित  राहु और केतु के लिए 43 दिनों तक देव स्थान में मूली दान करना चाहिए। 

बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु हो तो स्वर्ण धारण करने से लाभ होता है। 

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Mandnam इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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