आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय, आत्मविश्वास की कमी हो तो करें गायत्री मंत्र का जाप
आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय (Atmavishwas badhane ke upay): शास्त्र सम्मत कुछ ऐसी बातें जो भले ही छोटी हों लेकिन इनका आपके जीवन से गहरा संबंध होता है। आत्मविश्वास, रोग निवारण, धन-संपत्ति कारक तथा कुछ ऊपरी बलाओं से मुक्ति के लिए उपाय आपके जीवन में बदलाव ला सकते हैं, तो आईये विस्तार से जाने –
आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय (Atmavishwas badhane ke upay)
आत्मविश्वास बढ़ाने के टोटके
सूर्य ग्रह आत्मविश्वास का प्रबल कारक है। यदि सूर्य कारक होकर शत्रु क्षेत्री है, राहु केतु के प्रभाव में है, तो उसे मजबूत करना जरूरी है। क्योंकि इससे आत्मविश्वास की कमी होती है। इसके लिए आप निम्न उपाय को कर सकते हैं
पिता की सेवा करें। रविवार का व्रत करें। बिना नमक का भोजन लें।
रोजाना सूर्य के सामने खड़े होकर गायत्री मंत्र का या ओम घृणि सूर्याय नमः का 21 बार जाप करें। इसके अलावा अपने पास सूर्य यंत्र भी रख सकते हैं।
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ‘विश्वास मंत्र’, ‘भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वासरूपिणौ’ का प्रयोग किया जाता है।
ऊपरी बाधा से मुक्ति के उपाय / ऊपरी बाधा हटाने के उपाय
किसी व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो जिसके कारण वह चिल्लाता हो या कभी अपने बाल खींचता हो तो उस व्यक्ति के तकिए के नीचे रात में उसके सोने से पहले दूब रखें। सुबह उसके उठने के बाद उस दूब को नदी में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग को लगातार तीन दिन तक करें। तत्पश्चात 6 रात्रि तक सोने से पहले रात में तकिए के नीचे दूब रखें और सुबह उसे प्रवाहित करने की बजाय, इकट्ठा करते जाएं। सातवें दिन कोयले जलाकर एकत्रित किए गए दूब को जलाएं। फिर उसे नदी में प्रवाहित कर दें। इससे तांत्रिक प्रयोग का प्रभाव नष्ट होगा।
धन-संपत्ति कारक
पूर्णिमा के दिन तांबे के लोटे में जल, कच्चा दूध और शक्कर डालकर चंद्रमा को अर्द्ध दें तथा दीपक जलाकर चंद्रमा की आरती करें। इससे अनिष्ट टल जाता है। आर्थिक कष्ट दूर होता है और घर में सुख शांति रहती है।
घर में अधिक झगड़े होते हो तो परिवार के मुख्य व्यक्ति जहा सोये, उसके पलंग के नीचे रात में एक लोटा पानी रख दें। सुबह उस पानी को पीपल के पेड़ में डाल दें। इससे लाभ होता है।
रोग निवारण के उपाय
सोते समय सिर को पूर्व या दक्षिण की ओर ही करके सोना चाहिए। उत्तर की ओर सिर करके सोने से बुरे सपने आते हैं। आयु की कमी होती है। जैसे, दिशायंत्र की सुई उत्तर की ओर होती है, तब स्थिर हो जाती है, उसी प्रकार मस्तक में धमनी नाड़ी है, जो तालु में लपका करती है, वह जब दोनों ध्रुवों के बीच उत्तर में होती है, तब दिशायंत्र की सुई की भांति ठहर जाती है। इसके ठहरने से मस्तिष्क रोग होते हैं। इसलिए उत्तर की ओर सिर रखकर कभी नहीं सोना चाहिए।
सोने से पहले आंखों के काजल लगाना चाहिए। हाथ पाव धोकर और कुल्ली करके सोना चाहिए। इससे नींद गहरी आती है और बुरे सपने नहीं दिखते।
सूर्योदय तक न सोये। तारागण दिखते हो तब तक उठ जाएं। आंख खुलने के बाद फिर से ना सोएं। इस प्रकार सोने से शक्ति का क्षय होता है।
सुबह में शौच जाने से पहले बासी पानी ही पीएं इससे काया निरोग और चित्त प्रसन्न रहता है।
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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Mandnam इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।