दोस्त, दोस्ती और दोस्तों का संसार
दोस्त, दोस्ती और दोस्तों का संसार (Dost, Dosti Aur Dosto Ka Sansar), बहुत से कवि को सुना होगा आपने, बहुत सी रचनाएं भी पढ़ी होंगी आपने, लेकिन आज हम आपके सामने मनोज अनुश्री की कुछ रचनायें प्रस्तुत कर रहे है, पढ़े और विश्लेषण करें, कि कितना दिल और दिल को छू के गुजरने वाले शब्द चुने है उन्होंने –
दोस्त, दोस्ती और दोस्तों का संसार (Dost, Dosti Aur Dosto Ka Sansar)
![दोस्त, दोस्ती और दोस्तों का संसार](https://www.mandnam.com/wp-content/uploads/2021/09/krishna-sudhama-dosti.jpg)
दोस्ती की कोई उम्र नहीं होती और न ही उसका कोई धरम होता है। वो तो एक निर्मल जल है जहा भी पड़ती है सब सुख दे देती है, और सब दुःख हर लेती है। इस रचना में ऐसा ही कुछ कहा गया लगता है पढ़े और विश्लेषण करें –
हर साँस, किसी की उधार है
बन्धु, ये दोस्तों का प्यार है।
एक दोस्ती ही है जिसका,
अपना एक निराला संसार है।
हर जगह होती है
सहारा यही दोस्ती।
दुःख का अम्बार हो
या खुशियों की झंकार हो।
ये प्यार है, ये संसार है
ये बहार है, ये ख़ुमार है।
इसे जितने भी नाम दो
बदलती नहीं शाम में।
ये राम, रहीम, ईसा है बन्धु
इसकी कोई निशा नहीं है, बन्धु।
हर साँस, किसी की उधार है
बन्धु, ये दोस्तों का प्यार है।
सौजन्य से – मनोज अनुश्री
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