तुलसी माहात्म्य श्रवण और तुलसी काष्ठ का महत्व 

तुलसी माहात्म्य श्रवण और तुलसी काष्ठ का महत्व (Tulsi Mahatmya Shravan Aur Tulsi Kashth ka Mahatva): पद्मपुराण के अनुसार, तुलसी का माहात्म्य सुन लेने भर मात्र से ही प्राणी को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है, और तुलसी का माहात्म्य (तुलसी माता का महत्व) सुन लेने से जन्म से लेकर मृत्यु तक जितने भी पाप हुए हैं, वह सारे नष्ट हो जाते हैं। 

(Tulsi Mahatmya Shravan Aur Tulsi Kashth ka Mahatva) तुलसी माहात्म्य श्रवण और तुलसी काष्ठ का महत्व

तुलसी माहात्म्य श्रवण
तुलसी माहात्म्य – तुलसी काष्ठ 

तुलसी का धार्मिक महत्व

पत्रं पुष्पं फलं त्वक् स्कन्ध संज्ञितम्, तुलसी सम्भवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम्।।

तुलसी का उपयोग,”तुलसी के पत्र, पुष्प, फल, जड, छाल, तना, पौधे के तल की मिट्टी सभी पवित्र और सेवनीय हैं।”, जो तुलसी काष्ठ का चंदन श्री कृष्ण को अर्पण करता है और उनके श्रीविग्रह में भक्तिपूर्वक लगाता है वो सदा श्रीहरि के समीप रमण करता है।  तुलसी काष्ठ को ही हरी चंदन कहा जाता है ये भी चन्दन की भाँति घिसा जा सकता है। 

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तुलसी काष्ठ का महत्व / तुलसी की लकड़ी का महत्व

  • जो तुलसी काष्ठ की आग से भगवान के लिए दीप जलाये उसे 10 करोड़ दीपदान का फल मिलता हैं। 
  • जो ब्राह्मण तुलसी काष्ठ की अग्नि में हवन करते हैं उन्हें एक एक सिक्थ अर्थात चावल के दाने  में अथवा एक एक तिल में अग्नि स्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
  • तुलसी की लकड़ी की आंच से तैयार किये हुए नैवेद्य का थोड़ा सा भी अन्न भगवान् केशव को अर्पण किया जाये तो वो मेरु के समान अन्न दान का फल देने वाला होता है। 
  • जो भगवन को तुलसी काष्ठ का धूप देता है वह उसके फलस्वरूप 100 यज्ञानुष्ठान और 100 गऊदान का फल प्राप्त करता है। 
  • जो मनुस्य अपने अंग में तुलसी की कीचड़ लगा के श्रीविष्णु का पूजन करता है उसे एक ही दिन में 100 दिनो के पूजन का फल प्राप्त होता है।
  • तुलसी की जड़ की मिट्टी से स्नान करने से तीर्थ स्नान  का फल मिलता है। 
  • जो तुलसी की नयी मंजरी से भगवान की पुजा करता है वो जब तक सूर्य चंद्र है तब तक पुण्य भोगता है। 
  • प्रतिदिन जो तुलसीदल से भगवान की पूजा करता है वो धनवान होता है। 
  • जिनका मृत शरीर तुलसी काष्ठ की आग से जलाया जाता है वे विष्णु लोक में जाते है। ( नोट : तुलसी की लकड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा चिता में डाल दें।)

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