सरस्वती उपासना से बढ़ती हैं बौद्धिक क्षमता

सरस्वती उपासना (Saraswati Upasana): कुंडली के विभिन्न भावों में यदि बुध और गुरु की स्थिति अनुकूल न हो तो ऐसे लोगों की बौद्धिक क्षमता प्रायः कमजोर होती है। लेकिन इसके निवारण के लिए ज्योतिष में कुछ कारगर उपाय भी बताए गए हैं। इन्हें आजमाकर आप भी स्मरण शक्ति और बुद्धि को बढ़ा सकते हैं। 

सरस्वती उपासना (Saraswati Upasana)

सरस्वती उपासना
Saraswati Upasana

हर कोई अपने आप को अन्य से आगे रखना चाहता है, लेकिन अपने कर्म एवं भाग्य के अनुसार ही उनको सफलता मिलती है। जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत, लक्ष्य के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता भी अच्छी होनी आवश्यक है। बौद्धिक क्षमता में कमी होने पर उसे किसी परीक्षा में वांछित सफलता प्राप्त नहीं हो पाती। 

कुछ जातक साधारण बुद्धि, कुछ मंद बुद्धि के तो, कुछ विलक्षण प्रतिभा के स्वामी होते हैं। बौद्धिक क्षमता की जानकारी के लिए ज्योतिष में जन्मांग चक्र का अध्ययन किया जाता है। जन्मांग चक्र का चतुर्थ भाव, विद्या का पंचम भाव, बुद्धि कुशाग्रता के लिए बुध को बुद्धि का, बृहस्पति को ज्ञान का एवं चंद्र को मानसिक शक्ति का कारक माना जाता है।

चतुर्थेश का पंचमेश बलवान होकर स्थित हो तो जातक की बौद्धिक क्षमता अधिक होती है। यदि चतुर्थेश और पंचमेश कमजोर हो एवं बृहस्पति भी कमजोर हो तो जातक की बुद्धि क्षीण होती है।

इस तरह ज्योतिष में बुद्धिमान होने के निम्न योग बताए गए हैं –

  • पंचम स्थान में शुभ ग्रह, शुभ ग्रह की राशि एवं शुभ ग्रहों का दृष्टि प्रभाव हो तो जातक बुद्धिमान होता है। 
  • पंचमेश उच्च राशि में हो, शुभग्रहों के अंतराल में हो, बुध व बृहस्पति केंद्र त्रिकोण में बलवान होकर स्थित हो तो बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है।
  • इसी तरह बुध पंचम भाव में, पंचमेश भी बलवान होकर केंद्र में स्थित हो एवं पंचमेश भी शुभ ग्रहों से युति दृष्टि संबंध बनाए तो जातक बुद्धिमान होता है।
  • इस प्रकार यदि जातक की कुंडली में मंदबुद्धि के योग उपस्थित हो तो उसके निवारण हेतु उपाय करना चाहिए। इससे प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता मिल सकती है।

बौद्धिक क्षमता में वृद्धि कर प्रतियोगिता में सफलता प्राप्ति के उपाय

1. सरस्वती उपासना करना।

2. गणेश रुद्राक्ष धारण करना। 

3. बजरंग वाण का पाठ करना।

4. ‘ऊं नमो भगवते भांजनेयाय महाबलाय स्वाहा।’  को तुलसी पत्र पर लिखकर जीभ पर रखते हुए जाप करने से प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है।

5. ‘ऊं नमो देवी कामाख्या त्रिशूल खड्ग हस्त पाधा पाती गरुड़ सर्व लखी तु प्रीतये सभांगम सत्व चिंतामणि नरसिंह चल चल क्षीण कोटि कात्यानी तालब प्रसाद के ऊं हें ह्रीं क्रुं त्रिभुवन चालिया चालिया स्वाहा।’ इस शाबर मंत्र का जाप रोहिणी नक्षत्र से प्रारंभ करना चाहिए। इस मंत्र के द्वारा तुसली पत्र को अभिमंत्रित करके खाने से बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।

 6. ऊं ऐं श्रीं क्लीं वद् वद् वाग्वादिनी ह्रीं सरस्वत्यै नमः। उक्त मंत्र का जाप प्रतिदिन ब्रह्मवेला में करते रहने से जातक की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है जिससे प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता मिलने लगती है।

इस प्रकार मंत्रों का जाप करते रहने से जातक की बौद्धिक क्षमता में चमत्कारिक परिवर्तन होता है। 

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