तुलसी मानस मंदिर वाराणसी, श्री सत्यनारायण तुलसी मानस मंदिर वाराणसी
तुलसी मानस मंदिर वाराणसी (Tulsi Manas Mandir Varanasi), तुलसी मानस मंदिर बनारस के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह हिंदू धर्म में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है क्योंकि प्राचीन हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस मूल रूप से यहां 16 वीं शताब्दी में कवि-संत, सुधारक और दार्शनिक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गयी थी।
तुलसी मानस मंदिर वाराणसी (Tulsi Manas Mandir Varanasi)
रामचरितमानस के कारण, महाकाव्य रामायण को बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पढ़ा जाने लगा, जो इसे पहले संभव नहीं था, क्योंकि यह संस्कृत में थी।
किंवदंती के अनुसार, रामचरितमानस से पहले भगवान राम को एक महान राजा के रूप में चित्रित किया गया था, यह रामचरितमानस ही थी जिसने उन्हें भगवान का रूप दिया।
तुलसी मानस मंदिर का इतिहास
रामायण, सबसे प्रसिद्ध हिंदू महाकाव्यों में से एक है, जो की संस्कृत भाषा में वाल्मीकि ऋषि द्वारा लिखी गयी थी । संस्कृत भाषा में लिखे होने के कारण, यह आम जनता के समझ से परे था। इसलिए गोस्वामी तुलसीदास ने 16 वीं शताब्दी में इसे आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए अवधी में रामायण लिखी थी, और इसी अवधी संस्करण को रामचरितमानस के रूप में जाना जाता है। 1964 में, सेठ रतन लाल सुरेका ने इस मंदिर का निर्माण वही करवाया, जहाँ गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखी थी।
तुलसी मानस मंदिर
इस मंदिर के मध्य में श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियाँ स्थित हैं। इनके एक ओर माता अन्नपूर्णा और शिव तथा विपरीत दिशा में भगवान सत्यनारायण की मूर्ति हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि पूरे मंदिर की दीवारों पर संगमरमर के पत्थर पर नक्काशी करके पूरी रामायण बेहद खूबसूरती से लिखी गई है। और मंदिर की दूसरी मंजिल पर संत तुलसी दास जी की मूर्ति भी स्थापित की गयी है।
यह काशी में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। इस मंदिर के समीप दुर्गा मंदिर, संकट मोचन मंदिर और नया विश्वनाथ मंदिर हैं।
तुलसी मानस मंदिर संकट मोचन रोड पर दुर्गा कुंड मन्दिर से लगभग 250 मीटर पूरब, संकट मोचन मंदिर से 700 मीटर उत्तर-पूर्व और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1.3 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
तुलसी मानस मंदिर के खुलने का समय
सुबह – सुबह 5:30 से दोपहर 12:00 बजे तक और
दोपहर – दोपहर 3:30 बजे से रात 9:00 बजे तक
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