फालसा के औषधि गुण व फालसा द्वारा आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी

फालसा के औषधि गुण (Phalsa Ke Aushadhi Gun): आयुर्वेद में फालसा का प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। फालसा एक बेहतरीन पौष्टिक टॉनिक माना जाता है। गर्मी के दिनों में फालसे का सेवन सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है, फालसा शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।

Phalsa Ke Aushadhi Gun – फालसा के औषधि गुण

फालसा के औषधि गुण
Phalsa Ke Aushadhi Gun

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फालसा खाने के ये फायदे चौंका देंगे आपको

पका फालसे पित्त, दाह (जलन), रक्त विकार, बुखार, क्षय रोग (टीबी) और वायु गैस को दूर करता है। पके फालसे मल प्रतिरोधी और पौष्टिक होते हैं। कच्चा फालसे पित्त कारक, छोटा और वायु-विकर्षक होता है और पित्त और कफ को दूर करता है। फालसा दूषित मल को शरीर से बाहर निकाल देता है।

दिमाग की गर्मी और रूखापन को दूर करता है। दिल, पेट और लीवर को ताकत देता है। महिलाओं के पेशाब में जलन, सूजाक (गनोरिया) और सफेद पानी (ल्यूकोरिया) में यह लाभकारी है। अच्छी तरह पका हुआ फालसा पेट और सीने की गर्मी, बेचैनी, वीर्य स्राव और स्वप्नदोष में लाभकारी होता है। जानें अन्य फायदे

1. हृदय रोग में लाभकारी 

  • पके फालसे का रस, पानी, सोंठ और चीनी में मिलाकर पीने से हृदय रोग और पित्त विकार में लाभ होता है।
  • पके फालसे के रस में पानी मिलाकर उसमें चीनी और थोड़ा सा सोंठ का चूर्ण मिलाकर चाशनी बनाकर पीने से पित्त दोष समाप्त हो जाता है। हृदय रोग के लिए यह शरबत फायदेमंद होता है। 
  • पके फालसे का सेवन करने से शरीर ताक़तवर और मजबूत बनता है। यह हृदय रोग और रक्त पित्त में भी बहुत फायदेमंद होता है।

2. वीर्य की कमजोरी

पका हुआ फालसा खाने से धातु की कमजोरी दूर होती है।

3. पेशाब करने की कठिनाई से राहत 

फालसे की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब में कठिनाई और प्रमेह का रोग समाप्त हो जाता है।

4. मूढ़गर्भ (गर्भ में मृत बच्चा) को हटाने के लिए

फालसे के पेड़ की जड़ का लेप स्त्री की नाभि, बस्ती (नाभि के नीचे) और योनि पर लगाने से मूढ़गर्भ या मृतगर्भ (मृत बच्चा) बाहर आ जाता है।

5. भूख न लगना (Anorexia)

फालसे में सेंधा नमक और काली मिर्च मिलाकर सेवन करने से भूख न लगने का रोग समाप्त हो जाता है।

6. शरीर में जलन का अहसास

फालसे का शरबत बनाकर पीने से शरीर की जलन शांत होती है तथा पका हुआ फालसा चीनी में मिलाकर खाने से भी आराम मिलता है।

7. हीट स्ट्रोक के मामले में (लू लगना)

500 ग्राम पका फालसा को आधा लीटर पानी में 3-4 घंटे के लिए भिगो दें। इसके बाद इसे मैश करके कपड़े से छान लें, फिर इसमें 500 ग्राम चीनी डालकर उबाल लें और शर्बत बनाकर साफ बोतल में भरकर रख लें।  गर्मियों में इसमें पानी मिलाकर पीने से ठंडक मिलती है, रुचि पैदा होती है और लू लगने से भी बचाव होता है।

8. अपच में लाभदायक 

अग्निमांड्य (भूख न लगना), अतिसार (दस्त), प्रवाहिका (पेचिश, स्वर बैठना) आदि कच्चे फालसे के सेवन से ठीक हो जाते हैं।

9. चहरे पर दाने

फालसे की पत्तियों और कलियों का लेप लगाने से फुंसी खत्म हो जाती है।

10. प्यास

पके फलसे के रस में जल मिलाकर पीने से त्रिशा रोग दूर हो जाता है।

11. हिचकी

फालसे के सेवन से कफ घुलकर बाहर आ जाता है। यह हिचकी और सांस की बीमारियों में भी फायदेमंद है।

12. गले के रोगों में

फालसे की छाल से गरारे करने से गले के रोगों में लाभ होता है।

13. घुटने के दर्द

फालसे के पेड़ की छाल के लेप को लगाने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। गठिया रोग में भी इसका लेप लाभकारी होता है। फालसे के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया का रोग दूर हो जाता है।

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