बेसमेंट बनाने का तरीका । तहखाना बनाएं, पर वास्तु के अनुसार

बेसमेंट बनाने का तरीका (Basement Banane Ka Tarika): अनेक परंपराओं की तरह वास्तु को भी सदियों तक अनदेखा किया गया है और इनके संरक्षण के अभाव के कारण लोग आज भी अपने घरों, दुकानों, कार्यालयों अथवा औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में इस उपयोगी विज्ञान का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। 

बेसमेंट बनाने का तरीका (Basement Banane Ka Tarika)

बेसमेंट बनाने का तरीका
Basement Banane Ka Tarika

तहखाना हमेशा से उपयोगी जगह रही है, फिर चाहे यह घर में हो या कमर्शियल प्लेसेस में। तहखाने के अपने फायदे होते हैं, इसलिए इसके निर्माण के लिए वास्तु को नजरअंदाज करना ठीक नहीं-

वास्तु शास्त्र के अनुसार बेसमेंट

यदि निर्माण वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होता है, तो इन स्थानों पर रहने वाले तथा कार्य करने वाले लोगों के विचार और कार्यकलापों में स्वतः स्फूर्त और सामंजस्य नहीं बन पाता, जिससे उनके हर काम में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इसलिए किसी भी भवन का निर्माण कराते समय वास्तु को अनदेखा नहीं करना चाहिए। 

फिर चाहे वह तहखाना ही क्यों ना हो? घर में आज भी तहखाने का उतना ही महत्व है, जितना दूसरे कमरों का। अब तो बदलते समय के साथ तहखाने को बहुपयोगी बना दिया जाता है, जिससे यह कई कामों में आ जाता हैं। 

कमर्शियल दृष्टिकोण से ऑफिस या गोदाम भी  तहखाने में बनाए जाने लगे हैं या फिर इसका उपयोग पार्किंग के लिए किया जाने लगा है। पेश है कुछ टिप्स तहखाने के निर्माण के लिए 

मकान में बेसमेंट

  • बीमार व्यक्ति को तहखाने में नहीं रहना चाहिए। वह वहां ठीक नही होगा। 
  • यदि किसी कारणवश आपको तहखाने में व्यवसाय चलाना है, तो वहां केवल बिल बनाने का काम किया जाए, लेकिन नगदी की खिड़की भूमि तल पर ही होनी चाहिए, यह सुनिश्चित करें। 
  • पश्चिमी देशों में तहखाने में धूप परावर्तित करने के लिए बड़े-बड़े दर्पणों का प्रयोग किया जाता है। यह कुछ हद तक वास्तु दोष को सुधार सकते हैं। 
  • तहखाने धूप रोकते हैं और उससे होने वाला लाभ भी घटाते हैं। अतः यह परामर्श दिया जाता है कि तहखाने नहीं बनाने चाहिए। 
  • तहखाना, केवल दक्षिण अथवा पश्चिम में नहीं होना चाहिए। 
  • पूर्व और उत्तर में तहखाने अच्छे होते हैं। यदि केवल उत्तर-पूर्व में बेधन-कूप अथवा जल की सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी, तो यह बहुत शुभ होगा और अथाह संपत्ति प्राप्त होगी। दक्षिण-पश्चिम में भारी समान रखें और उत्तर की ओर मुंह करके बैठे, यह व्यवसाय के लिए बहुत अच्छा होता है। 

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  • यदि व्यवसाय उत्तर-पश्चिम में है, तो उत्तर में एक बड़ा रोशनदान बनवा देना चाहिए। तहखाने में दरवाजे और खिड़कियां उत्तर और पूर्व में होने चाहिए। उत्तर-पश्चिम में व्यवसाय अच्छा होगा, लेकिन वहां सुस्ती, अचानक हानि और चोरी का भय रहेगा। 
  • तहखाने के दक्षिण-पूर्व में होटल लाभप्रद हो सकता है, यदि किचन वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप बनाया जाए। 
  • किसी मंदिर के तहखाने का सबसे निचला भाग चुंबकीय शक्ति से संपन्न होता है तथा यहां मंदिर में पूजा करने वाले साधु-संतों की भक्ति का सकारात्मक तेज भी समाहित रहता है। 
  • किसी भी तहखाने की ऊंचाई 9 फुट से कम नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा है, तो उस तहखाने में हानि होने की प्रबल संभावना हो सकती है। 
  • तहखाने में स्थान केवल गोदाम के लिए अच्छा होता है। यदि दक्षिण-पश्चिम कोने में कुआं अथवा बेधन कूप अथवा भूमिगत जल-संग्रह किया जाता है, तो यह बहुत खतरनाक सिद्ध होता है। परिवार के मुखिया की दुर्घटना में मृत्यु अथवा आत्महत्या की घटना घटित हो सकती है। 
  • यदि तहखाने का चौथाई भाग भू-तल के स्तर पर है और प्रातः 7:00 से 10:00 बजे तक यहां धूप रहती है, तो  यह स्थान उचित है। 

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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