वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान, अगर घर में खोलनी हो दुकान

वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान (Vastu Shastra Ke Anusar Dukan): स्वरोजगार के तौर पर यदि आप अपने घर में ही कोई दुकान या छोटे-छोटे उद्योग खोलने की सोच रहे हैं, तो यहां भी वास्तु नियमों का पूरा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि बिजनेस की सफलता में वास्तु का भी प्रभाव होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान (Vastu Shastra Ke Anusar Dukan)

वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान
Vastu Shastra Ke Anusar Dukan

वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान का नक्शा

वास्तु शास्त्र में व्यापार कार्य के लिए भी वास्तु सम्मत नियम दिए गए हैं –

  • यदि आप घर में किराने की दुकान खोलना चाहते हैं, तो वायव्य क्षेत्र से उत्तम और कोई जगह नहीं है। 
  • रेस्तरां, चाय की दुकान आदि के लिए वायव्य या आग्नेय क्षेत्र उत्तम स्थान है। 
  • घर में क्लीनिक या ब्लड केंद्र खोलना हो, तो उसके लिए मध्य उत्तर या उत्तर पूर्व का चुनाव करें। 
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र ठीक है। मालिक को बैठने की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर रहे। वायव्य स्थान में भी यह दुकान खोली जा सकती है। 
  • घर में बिल्डिंग मटेरियल की दुकान के लिए नैऋर्त्य कोण सही होता है। 
  • घर में ऐसी कोई फैक्ट्री खोलनी है जिसमें बिजली से चलने वाले उपकरण काम में लाए जाएं तो उसके लिए आग्नेय क्षेत्र का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भट्टी आदि के लिए यह दिशा उत्तम है।

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  • कोचिंग संस्थान आदि के लिए मध्य-पूर्व या उत्तर-पूर्व का चयन करें। किसी दुकान को आंतरिक व्यवस्था में भी इन दिशाओं का विशेष ध्यान रखें। दुकान का आकार सम चौरस व आयताकार होना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो शेर मुखी (सिंह मुखी) रखा जा सकता है। 
  • प्रवेश द्वार दुकान का यथा संभव पूर्व, उत्तर या पश्चिम की ओर होना चाहिए। दक्षिणमुखी हो तो आंतरिक व्यवस्था में इस प्रकार परिवर्तन करें कि मालिक का मुख उत्तर या पूर्व की ओर रहे। 
  • दुकान के द्वार में कभी चौखट न रखें, वास्तु में इसे द्वार वेध मन गया है, जो व्यापार कार्य को बाधित करती है। 
  • दुकान यदि घर में खोलनी हो तो इसके लिए (वायव्य कोण में दुकान) वायव्य कोण सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा पश्चिम मुखी या उत्तर मुखी भवनों में भी किया जा सकता है। 
  • हल्की मशीनें और सहायक पुर्जों की मशीनें उत्तर और पूर्व में स्थापित करें। 
  • अतिरिक्त कल पुर्जों आदि का भंडार मध्य-पश्चिम में करें। इसे केंद्र स्थान, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में कभी न बनाएं। 
  • शौचालय की व्यवस्था चारदीवारी से लगे कम्पाउंड में उत्तर- पश्चिम या दक्षिण-पूर्व के बीच में ही करें। 

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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