औषधि स्नान, औषधि स्नान से भी अनुकूल होते हैं ग्रह

औषधि स्नान (Aushadhi Snan): ग्रह प्रतिकूल होने पर प्रायः लोग ग्रह संबंधी रत्न की अंगूठी पहनते है या ग्रह सम्बन्धी दान, जप, तप भी करते है। लेकिन इन सबके अलावा अगर आप चाहें तो ग्रह से सम्बंधित औषधि से स्नान भी कर सकते है –

औषधि स्नान (Aushadhi Snan)

औषधि स्नान
Aushadhi Snan

शास्त्रों में तीर्थोदक जल और औषधियों का इस्तेमाल न सिर्फ रोगों के निवारण हेतु बल्कि ग्रहों को अनुकूल करने के लिए भी, किए जाने की चर्चा है। वैसे तो ग्रह प्रतिकूल होने पर प्रायः लोग ग्रह संबंधी रत्न की अंगूठी पहनते हैं या ग्रह संबंधी दान, जप, तप भी करते हैं। ये उपाय काफी हद तक कारगर भी होते हैं। लेकिन इससे इतर ग्रंथों में औषधि स्नान का भी वर्णन है। ग्रह संबंधी औषधि से स्नान करने से भी लाभ मिलता है। हमारे आदि ऋषियों ने ग्रहों की अनुकूलता के लिए औषधि स्नान करना भी एक उपाय बताया है।

ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह के लिए पेड़-पौधे और जड़ी बूटियों का उल्लेख तो है ही लेकिन इनका इस्तेमाल अगर स्नान में भी किया जाए तो ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।

ग्रह शांति का उपाय

सूर्य

आक पर सूर्य का अधिकार है। इसे पहनने तथा आक की लकड़ी से हवन करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं। केशर, कमलगट्टा, जटामांसी, इलायची, मैनसिल, खस, देवदारू और पाटल का चूर्ण जल में डालकर स्नान करने सूर्यजनित दोष समाप्त होते हैं।

चंद्र को मजबूत करने के उपाय

अगर चंद्रमा से पीड़ित हों तो पलाश का पौधा प्रयोग करें। चूंकि पलाश चंद्रमा के आधिपत्य में है। पलाश की जड़ धारण करने या उसकी समिधा से हवन करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। पंचगव्य, बेल गिरी, गजमद, शंख, सिप्पी, सफेद चंदन, स्फटिक से स्नान करना चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों को कम करता है। 

मंगल

मंगल के लिए खेर के वृक्ष शुभ होते हैं। जिन लोगों पर मंगल का प्रभाव है, उनको बेल छाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, सिगरफ, माल कांगनी, मौलसिरी आदि औषधि डालकर नित्य स्नान करना चाहिए। इससे अनिष्ट मंगल का प्रभाव कम हो जाता है।

बुध को प्रबल करने के उपाय

बुध की औषधि अपामार्ग है। अतः स्नान के लिए अक्षत, फल, गोरोचन, मधु व सुवर्ण मिश्रित जल से स्नान बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए शुभ है। 

गुरु को मजबूत करने के उपाय

पीपत और पीले कनेर पर गुरु यानी बृहस्पति का अधिकार है, इसलिए मालती पुष्प, पीली सरसों, हल्दी, पीतफल आदि से युक्त जल से स्नान करना बृहस्पति को प्रसन्न करने वाला है।

शुक्र

इस ग्रह को अनुकूलता चाहिए तो गुलर के पेड़ की जड़ धारण करें और उसकी समिधा से हवन करें। इससे शुक्र ग्रह प्रसन्न होते हैं। इलायची, मनशिला, केशर, सफेद पुष्प डालकर स्नान करने से शुक्र की अनिष्टता शांत होती है।

शनि 

शनि के अनिष्ट से बचने के लिए खेजड़ी का पेड़ बेहतर होता है। इस पेड़ पर शनि का आधिपत्य होता है। स्नान के लिए काले तिल, सुरमा, लोबान, धमनी, सौंफ, चावल की खील आदि का प्रयोग करना शनि देव को प्रसन्न करता है। जिन लोगों के साढ़ेसाती व ढैय्या चल रही है, उन्हें शनिवार को तेल की मालिश करके उक्त औषधियुक्त जल से स्नान शुभ फल देता है।

राहु 

कहते हैं हरी दूब राहु को बेहद पसंद है। इसलिए गजदंत, कस्तूरी, कृष्ण पुष्प, दूब मिश्रित जल से स्नान करना राहु को प्रसन्न करता है। इससे राहु को शांत किया जा सकता है।

केतु

कुशा धारण करना केतु के लिए है। रतनजोत, नागरमोथा, गजमद आदि मिश्रित जल से स्नान न करने से केतु प्रसन्न होता है।

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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