जहर मोहरा के फायदे, जहरमोहरा से पाएं एकाग्रता
जहर मोहरा के फायदे (Jahar Mohra Ke Fayde): अकसर आपने ऐसे फकीर या झाड़ फुक करने वाले लोगों के बारे में सुना होगा जो पत्थरों से सांप का विष निकालते है। क्या आप जानते है इस रत्न / पत्थर के बारे में। अगर नहीं तो हम बताएगें। यह पत्थर है- जहरमोहरा । जिसे सर्पेन्टाइन कहते हैं। इस रत्न का भारतीय नाम जहरमोरा या जहरमोहरा है। यह हरा पीला मिश्रित रंगीन रत्न होता है। जो चीते की खाल से मिलता-जुलता होता है। इसका इस्तेमाल विभिन्न रोगों के लिए किया जाता है।
जहर मोहरा के फायदे (Jahar Mohra Ke Fayde)
फेंगशुई-सर्पेटाइन एनर्जी का ही विकास हीं नहीं करता बल्कि विस्तार भी करता है। यह बुद्धिमत्ता को भी उभारने में मददगार साबित होता है। इसको धारण करने से साधना के समय एकाग्रता आती है। इसलिए साधना के लिए सर्पेन्टाइन को एक असाधारण रत्न माना गया है। साधना के समय साधक इसको धारण करते है। वहीं यह कला को भी बढ़ाने वाला होता है।
उपचारीय गुण
इस रत्न का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के लिए भी किया जाता है। मधुमेह और आंतरिक आंतों के जख्मों को दूर करता है। किडनी एवं उदर विकारों को दूर करने में सहायक है। अगर कोई विषैले सर्प या कीड़े मकौड़ों ने काट लिया हो तो इससे ईलाज संभव है।
स्त्रियों के लिए रामबाण है जहरमोहरा
यूं तो इसका उपचारीय गुण काफी असरदायी है लेकिन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है। अगर मासिक स्राव के समय ऐंठन या दर्द रहता हो तो इससे राहत मिलता है। विशेषकर मीनोपॉज के समय होने वाली परेशानी से महिलाओं को इससे आराम मिलता है।
और भी है फायदे
इसके अलावा मनःस्थिति को संतुलित बनाए रखने के लिए, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी जहरमोहरा का प्रयोग किया जाता है। जिन जातकों को पढ़ने में या शिक्षा में बार-बार बाधाएं आती हों, सोते हुए डर लगता हो, उनके लिए यह काफी फायदेमंद है। प्रयोग में लाने से पहले जहरमोहरा को पत्थर की बनी मां सरस्वती की मूत्ति के आगे नीले फूल चढ़ाकर प्रणाम करने से लाभ मिलता है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में मे राहू की देवी सरस्वती मानी गई है और राहू को सर्प माना जाता है।
प्रयोग की विधि
सर्पेंटाइन को सीधे त्वचा पर रखा जा सकता है। क्रिस्टल के मूल रूप में टेबल आदि पर रखने से उस कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है। श्री गणेशजी, मां सरस्वती जी की मूर्ति इत्यादि बनाकर रखी जा सकती है। सदियों से इसके प्याले खरल, फूलदान, घड़ी के फ्रेम, छतरी व छड़ी के हैंडल के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। ताकि प्रयोगकर्ता ऊपरी अला-बला के दुष्प्रभाव से जातक सुरक्षित रहे।
सामान्य पहचान
जहरमोहरा पत्थर की खरल में हल्दी पीसी जाए तो लाल रंग का हो जाता है। जहरमोहरा के पत्थर पर सूती धागा बांधकर जलाया जाए तो नहीं जलता । मधुमक्खी, तत्तियां या बर्र के काटने पर उस स्थान पर सूजन व जलन हो जाती है, जिसमें अत्यधिक दर्द होता है तो जहरमोहरा पत्थर को घिस कर उस स्थान पर लगाने से दर्द व सूजन समाप्त हो जाती है तथा आराम मिलता है।
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