हस्त रेखा का ज्ञान, हस्त रेखाएं बताती हैं बोलने का ढंग 

हस्त रेखा का ज्ञान (Hast Rekha Ka Gyan): बहुत से लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है जिसकी वजह से वह स्वयं को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाते। सामुद्रिक ज्योतिष के जानकारों की मानें तो आत्मविश्वास में यह कमी हस्त रेखाओं में व्याप्त दोष के फल स्वरुप हो सकती है –

हस्त रेखा का ज्ञान (Hast Rekha Ka Gyan)

हस्त रेखा का ज्ञान
Hast Rekha Ka Gyan

हाथ में मौजूद रेखाएं आपके पूरे व्यक्तित्व का आईना होती हैं। स्वभाव से लेकर भविष्य संबंधी अन्य रहस्यों की जानकारी इन्हीं रेखाओं में छुपी होती हैं। यही नहीं, इन रेखाओं से आप अपने वाकपटुता के बारे में जान सकते हैं –

हस्त रेखा

  • मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हो, उसमें जंजीरनुमा रेखा बनती हो, जीवन रेखा चाहे ठीक हो और बुध ग्रह उन्नत न हो तो व्यक्ति के व्यक्तित्व में आत्मविश्वास की कमी होती है और वह धाराप्रवाह नहीं बोल पाता। 
  • दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा को राहु रेखाएं काटती हो, भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास हो, सूर्य उंगली तिरछी हो और सूर्य पर कट-फट हो तो व्यक्ति बोलने की कला में निपुण नहीं होता। 
  • हृदय और मस्तिष्क रेखा, दोषपूर्ण हो,हाथ में धब्बें हो, उंगली टेढ़ी हो, तो व्यक्ति भाषण देने या अपनी बात दूसरों के सामने सही ढंग से रखने में असमर्थ होते हैं। 
  • अंगूठा कम खुलता हो, मस्तिष्क और जीवन में रेखाओं का जोड़ लंबा हो, हाथ सख्त और पतला हो, सभी ग्रह दबें हो, तो व्यक्ति बोलने की कला से कोई प्रभावित नहीं होता। 
  • मस्तिष्क रेखा विभाजित न हो, गुरु की उंगली छोटी, सूर्य की टेढ़ी हो, ह्रदय रेखा में दोष हो और मस्तिष्क रेखा को बारीक़ रेखाएं काटती हों तो भी व्यक्ति बोलने की कला से वंचित रहता है। 
  • ह्रदय रेखा से मोटी शाखाएं नीचे की तरफ, मस्तिष्क रेखा को काटें, जीवन रेखा में दोष हो, चंद्र रेखा में द्वीप हो,  तो व्यक्ति किसी को भी अपनी वाकशैली से प्रभावित नहीं कर पाता है। 

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  • जीवन और मस्तिष्क रेखाओं का जोड़ लंबा हो, सूर्य और बुध क्षेत्र कट-फट हो और सूर्य की उंगली हथेली की तरफ हो और व्यक्ति के ग्रह सूर्य, बुध और शनि भी उत्तम न हों तो भी बोली प्रभावशाली नहीं होती। 
  • भाग्य रेखा में दोष हो या भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुके, मस्तिष्क रेखा में कोई शाखा न हो और उसमें दोष हो, हाथ का रंग काला हो और उसमें मोटी रेखाओं का जाल हो तो, व्यक्ति दूसरों से तो प्रभावित हो जाता है पर खुद प्रभावित नहीं कर पाता। 
  • अंगूठा छोटा और मोटा हो और उंगलियां भी मोटी हो तो व्यक्ति में बोलने की कला का अभाव होता है। सूर्य ग्रह दबा हो, शनि और बुध की स्थिति भी ठीक न हो तो व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है और वह मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है। फलतः दूसरों के समक्ष अपने विचार प्रभारी ढंग से नहीं रख पाता। 

वाकपटु लोगों के हाथों के लक्षण 

  • सूर्य, बुध और शनि ग्रह उत्तम हों,  सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा को काटे और उंगलियां पतली एवं सीधी हो, मस्तिष्क रेखा विभाजित हो, भाग्य रेखा सीधे शनि क्षेत्र पर जाती हो, मस्तिष्क और जीवन रेखाओं में कोई बड़ा दोष न हो, तो व्यक्ति की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है और वह लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। 
  • मस्तिष्क रेखा दोहरी हो, अंगूठा लंबा व पीछे की तरफ हो, उंगलियां पतली व छोटी हो, गुरु ग्रह व उसकी उंगली सूर्य की उंगली से लंबी हो, जीवन रेखा साफ हो तो व्यक्ति की भाषा पर पकड़ होती है और वह भाषण देने में माहिर होता है। 
  • हृदय एवं मस्तिष्क रेखाओं में कोई दोष न हो, बुध की उंगली थोड़ी टेढ़ी हो, सूर्य रेखा दोहरी या साफ-सुथरी हो,  मस्तिष्क रेखा मंगल तक जाती हो, जीवन रेखा में कोई जोड़ न हो, सूर्य और बुध ग्रह उन्नत हो, तो ऐसे लोगों में बोलने की कला होती है। 
  • शनि और सूर्य की उंगलियां को आधार बराबर हो, जीवन रेखा के साथ मंगल रेखा हो, हाथ का रंग साफ हो, हाथ भारी हो, उंगलिया पतली हों, गुरु, सूर्य और बुध ग्रह ठीक हों, ऐसे लोग अपनी वाकपटुता से सभी को प्रभावित करते हैं किंतु उनकी शैली घुमावदार होती है। 
  • अंगूठा लंबा हो, गुरु की उंगली सूर्य की उंगली से लंबी हो, ह्रदय रेखा साफ़ सुथरी हो, चंद्र उठा हो, अन्य ग्रह  भी ठीक हो,  हाथ भारी हो तो ऐसे लोगों की वाणी सम्मोहन का कार्य करती है। 

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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