तिलक कैसे लगाएं, पवित्रता के लिए लगाएं तिलक

तिलक कैसे लगाएं (Tilak Kaise Lagaye): धार्मिक तिलक स्वयं के द्वारा लगाया जाता है, जबकि सांस्कृतिक तिलक दूसरा लगाता है। तिलक चाहे जिस रूप में हो, उसकी महत्ता कभी कम नही होती। तो चलिए जानते हैं तिलक से जुड़ी कुछ और रोचक बातें…

तिलक कैसे लगाएं (Tilak Kaise Lagaye)

तिलक कैसे लगाएं
Tilak Kaise Lagaye

भगवान को तिलक लगाने की बात हो या किसी धार्मिक या सांस्कृतिक अवसर पर खुद टीका लगाने की। हर रूप में तिलक का विशेष महत्व होता है। तिलक लगाने की परंपरा हर धर्म में हैं और शास्त्रों में हर तिलक का विशेष महत्व बतलाया गया है। वैष्णव लोग ललाट पर कलात्मक टीका लगाते हैं, जिसमें चंदन, गोपीचंदन, हरिचंदन, या रोली का इस्तेमाल किया जाता है।

इनमें से हरिचंदन तुलसी के काष्ठ को घिसकर उसमें कपूर, केसर को मिलाकर बनाया जाता है। जबकि गोपीचंदन के बारे में कहा जाता है कि इस तिलक को धारण करने मात्र से ब्राह्मण से लेकर चांडाल तक पवित्र हो जाता है।

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कलात्मक टीके का लाभ 

वैष्णव लोग वज्र, अंकुश, अंबर, कमल, यव, अष्टकोण, ध्वजा, चक्र, स्वास्तिक त्रिकोण तथा इन्द्रधनुष जैसे मंगलकारी चिन्हों से कलात्मक टीका लगाते हैं। इन मंगलकारी चिन्हों का प्रयोग विभिन्न प्रभावों के लिए किया जाता है। जैसे, अंबर से भय विनाश, कमल से भक्ति, अष्टकोण से अष्टसिद्धि, चक्र से शत्रुदमन, स्वास्तिक से कल्याण, गोपद से भक्ति, शंख से विजय और बुद्धि से पुरुषार्थ, अर्धचन्द्र से शक्ति, इन्द्रधनुष से मृत्यु भय निवारण होता है।

शिव उपासक ललाट पर भस्म या केसर युक्त चंदन द्वारा भौहों के मध्य भाग से लेकर जहां तक भौहों का अंत है उतना बड़ा त्रिपुंड और ठीक नाक के ऊपर लाल रोली का बिन्दु या तिलक धारण करते हैं। शिवपुराण में त्रिपुंड को योग और मोक्ष दायक बताया गया है। विधिवत त्रिपुंड धारण कर रुद्राक्ष से महामृत्युजंय का जप करने वाले साधक के दर्शन को साक्षात रूद्र के दर्शन का फल बताया गया है।

ध्यान दें

तिलक लगाते समय मध्यमा और अंगुठे का ही प्रयोग होना चाहिए। ब्रह्मांड पुराण के अनुसार, तिलक में अंगुठे के प्रयोग से शक्ति, मध्यमा के प्रयोग से दीर्घायु, अनामिका के प्रयोग से समृद्धि तथा तर्जनी से लगाने पर मुक्ति प्राप्त होती हैं। लेकिन देवताओं पर केवल अनामिका से तिलक बिंदु लगाया जाना चाहिए।

चावल क्यों

अकसर तिलक लगाते समय पंडित चावल का भी इस्तेमाल करते हैं। शास्त्रों में तिलक में प्रयुक्त चावल को शिव का परिचायक माना गया है। शिव कल्याण के देवता हैं, जिनका वर्ण शुक्ल है। लाल तिलक पर सफेद चावल धारण कर हम जीवन में शिव व शक्ति दोनों का आशीर्वाद ग्रहण करते है। 

तिलक महिलाएं ही क्यों लगाती है?

मार्कण्डेय पुराण के ‘स्त्रिय समस्ता सकला जगत्सु’ के अनुसार नारी समाज शक्ति रूपा है। मस्तक पर लाल वर्ण के रूप में हम मातृशक्ति धारण करने की कामना करते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर सांस्कृतिक तिलक महिलाएं ही पुरुषों के भाल पर करती है। चाहे वह बहिन, पत्नी या मां किसी भी रूप में हो।

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धन-प्राप्ति के लिए शाबर मंत्र

हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी। पूरण करो अब माता कामना हमारी।। धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख- दात्री। सुनो सुनो अंबे सत्य-गुरु की पुकारा शंभु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।। तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान। आशा लगाकर अम देते हैं दीप- दान।।

मंत्र- ऊं नमः विष्णु-प्रियायै, ऊं नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।

विधि

इस प्रयोग को किसी भी दिन शाम को शुरू कर सकते हैं। सबसे पहले पांच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर रुई की बत्ती जलाएं। ‘लक्ष्मी जी’ को दीप-दान करें और ‘मां कामाक्षा’ का ध्यान कर उक्त ऊपर दिए हुए प्रार्थना को बोलें। फिर उक्त मंत्र का 108 बार जप करे। ‘दीपक’ सारी रात जलाए रखे और स्वयं भी जागते रहे। 

नींद आने लगे, तो मंत्र का जप करे। सुबह दीपों के बुझ जाने के बाद उन्हें नए वस्त्र में बांधकर ‘तिजोरी’ या ‘बक्से’ में रखे। इससे श्री लक्ष्मीजी का उसमें वास हो जाएगा और धन प्राप्ति होगी। हां, प्रतिदिन संध्या समय दीपक अवश्य जलाए और पांच बार उक्त मंत्र का जप करे। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा घर में सुख-समृद्धि आती है। इस प्रयोग को दिवाली के दिन किया जाए तो सबसे उत्तम होता है।

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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