शिव साधना के लाभ, शिव साधना के अद्भुत चमत्कार

शिव साधना के लाभ (Shiv Sadhana Ke Labh): त्रिदेवों में भगवान शिव को संहारकर्ता के रूप में जाना जाता है। लेकिन ये अत्यंत कल्याणकारी, शीघ्र कृपा बरसाने वाले और अभीष्ट प्रदान करने वाले भी हैं। भगवान शिव की साधना सुर और असुर दोनों करते हैं। इनकी उपासना जहां सात्विक और राजस भाव में होती है, वहीं तामस का भाव भी शिव सिद्धि का परम साधन बनता है –

शिव साधना के लाभ (Shiv Sadhana Ke Labh)

शिव साधना के लाभ
Shiv Sadhana Ke Labh

भगवान सदाशिव वैदिक और तांत्रिक दोनों विद्याओं के आचार्य हैं। यही कारण है कि दोनों प्रकार के ग्रंथों में शिव साधना द्वारा अद्भुत प्रयोगों का वर्णन मिलता है।

शिव तंत्र प्रयोग

  • किसी भी मास के प्रथम सोमवार को सफेद वस्त्र में तीन अभिमंत्रित गोमती चक्र, ग्यारह जोड़े नागकेसर तथा सात कौड़ियों को बांध लें। फिर उस वस्त्र पर हरसिंगार का इत्र लगाकर रोगी के सिर के चारों ओर सात बार घुमाकर शिव मंदिर में अर्पित कर दें। इससे रोगी स्वस्थ हो जाएगा।
  • प्रातः काल भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष पांच बत्ती वाला दीपक जलाएं। आपको प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
  • शनिवार के दिन भगवान शिव की सिंदूरी रंग की प्रतिमा का पूजन करके उसे सिंदूर चढ़ाएं। इसके पश्चात् तीन दिनों तक प्रतिदिन त्राटक करें। त्राटक के अंतिम दिन किसी चौराहे से लाई गई मिट्टी द्वारा आज्ञा चक्र पर तिलक लगाकर वांछित व्यक्ति के पास जाएं। वह अवश्य ही वशीभूत हो जाएगा।
  • प्रातःकाल गौरी-शंकर नामक रुद्राक्ष को भगवान शिव के मंदिर में चढ़ा आएं। इससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • श्रावण मास में प्रतिदिन 108 बेलपत्रों पर चंदन द्वारा ऊं नमः शिवाय मंत्र लिखें। फिर इसी मंत्र का उच्चारण करते हुए एक-एक बेलपत्र शिवजी की प्रतिमा पर चढ़ाते रहें। ऐसा 31 दिनों तक करने से धन लाभ अवश्य होता है।
  • सोमवार के दिन गर्भवती महिला एक टुकड़ा कपूर लेकर आधा जला दे और आधा कपूर शिव प्रतिमा पर चढ़ा आए। इस प्रयोग से सुंदर तथा स्वस्थ संतान होती है।

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  • चमेली के फूल से शिवजी का पूजन- अर्चन करने से वाहन सुख की प्राप्ति होती है। 
  • नित्य प्रातःकाल शिवजी का विधिवत उपासना करें। संतान सुख अवश्य प्राप्त होगा। 
  • पांच सोमवार तक आक के इक्कीस पुष्प से शिवजी की पूजा करें। पितृ दोष दूर हो जाएगा।
  • सोमवार के दिन होने वाली पूर्णिमा को प्रातःकाल शिवजी का दूध से अभिषेक करें और 11 नागकेसर चढ़ाएं। सायंकाल चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को दूध का अर्घ्य दें तथा सफेद भोग अर्पित करके बहू को खिलाएं। इस प्रयोग से बेटे और बहू का जीवन सदैव खुशहाल रहता है।
  • उत्तर की ओर मुंह करके अपने समक्ष शिवजी की प्रतिमा रखकर कुश के आसन पर बैठ जाएं। फिर थोड़ा-सा कपूर अपनी हथेली पर रखकर 108 बार ऊं नमः शिवाय मंत्र का जप करें। तत्पश्चात् वह कपूर पेट दर्द के रोगी को खिला दें। पेट दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।
  • शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को ग्यारह अभिमंत्रित गोमती चक्रों को पीले कपड़े पर रखकर उन सभी पर हल्दी से तिलक करें और शिवजी का स्मरण करके उस कपड़े की पोटली बना लें। फिर उस पोटली को हाथ में लेकर सारे घर में घूमते हुए घर के बाहर आ जाएं और उसे बहते जल में प्रवाहित कर दें। धन हानि दूर होकर धन लाभ का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे शिवजी की प्रतिमा स्थापित करके प्रतिदिन प्रातःकाल उस पर जल अर्पित करें और धूप-दीप दिखाकर पूजन-अर्चना करें। तत्पश्चात् ऊं नमः शिवाय मंत्र की पांच माला का जप करें। इससे लक्ष्मी का आगमन होने लगता है। सोमवार के दिन चंदन की अगरबत्ती जलाकर शिवजी की पूजा करें। फिर उस अगरबत्ती का भभूत चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति को लगा दें। इससे लाभ मिलेगा।

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