गंगा दशहरा के उपाय, गंगा की भक्ति समस्त पापों से मुक्ति

गंगा दशहरा के उपाय (Ganga Dashara Ke Upay): गंगा दशहरा को वर्ष के मुख की संज्ञा दी गई है। महाराज भगीरथ के प्रयास से इस दिन त्रय तापनाशिनी मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। इस दिन लोग गंगा स्नान, हवन, जप-तप या दान पुण्य करके मना लेते हैं, लेकिन ब्रह्मपुराण में इस दिन मनसा-वाचा-कर्मणा तीनों प्रकार से होने वाले दस दोषों का निवारण गंगा स्नान से होना बताया गया है। दस दोष कौन से हैं, इन्हें जानें –

गंगा दशहरा के उपाय (Ganga Dashara Ke Upay)

गंगा दशहरा के उपाय
Ganga Dashara Ke Upay

गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। भविष्य पुराण के अनुसार, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार गंगा स्तोत्र को पढ़ता है, चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो गंगा की पूजा कर मनवांछित फल को प्राप्त करता है।

वराहपुराण के अनुसार मनसा-वाचा-कर्मणा द्वारा उत्पन्न दस दोषों का निवारण गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से हो जाता है।

  • लग्न में पाप ग्रहों यथा राहु-मंगल-सूर्य या शनि दो ग्रहों की युति वाला जातक हिंसक प्रवृत्ति का होता है। उसे हर बात पर भयंकर क्रोध आता है। 
  • यदि कुंडली में दूसरा भाव वाणी और कुटुंब का है। इसमें यदि मंगल-राहु, मंगल- केतु या शनि-चंद्रमा का विष योग हो तो ऐसा जातक कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाला होता है।
  • वाणी का स्वामी द्वितीयेश व ज्ञान का स्वामी पंचमेश यदि मगरूर ग्रह है तथा किसी भी भाव में दोनों युति कर रहे हों। इन पर मंगल- शनि या राहु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक गुस्सैल और कटु स्वभाव का होगा।
  • चतुर्थ भाव में यदि मंगल राहु की युति है या सूर्य- केतु की युति हो, तो दोनों ही ग्रह जातक को घोर स्वार्थी बना देंगे। ऐसा व्यक्ति अपने तुच्छ लाभ के लिए दूसरों का अहित कर देता है।
  • यदि शनि-मंगल की युति लग्न भाव में हो तथा मंगल दशमेश हो तो व्यक्ति कंपटी वृत्ति से प्रभावित होता है।
  • लग्न का स्वामी शनि या मंगल हो और वह 6, 8, 12 वें भावों में अन्य पाप ग्रहों से युति करें, तो व्यक्ति घमंडी होगा।
  • नवम भाव में राहु हो या सूर्य-केतु की युति या नवमेश-चंद्रमा या गुरु 6, 8, 12वें भाव में राहु से युति करें, तो जातक आस्थाहीन होता है।
  • सप्तम भाव का स्वामी चंद्रमा या शुक्र 6, 8, 12 भाव में राहु या में शनि से युति करे या सप्तमेश मंगल द्वितीय भाव में केतु से युति करे, तो व्यक्ति दुश्चरित्र होगा।
  • कुंडली में कहीं पर नीच के चंद्रमा से राहु युति कर ग्रहण योग बनाए, तो ऐसा व्यक्ति अवैध प्रेम संबंधों वाला होगा।
  • 6, 8, 12 भाव में चंद्रमा के साथ राहु या शनि हो अथवा सूर्य के साथ केतु हो, तो ऐसा जातक हमेशा उजले पक्ष की अवहेलना कर हर मामले के नकारात्मक पहलू हीतलाश करेगा।

बुरे प्रभावों का नाश

इस तरह कुंडली में बताए विभिन्न ग्रह स्थितियों और उससे होने वाले बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए गंगा दशहरा सबसे शुभ दिन माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से उक्त दोषों का शमन होता है। इसलिए इस दशमी को दशहरा के रूप में मनाते हैं। क्योंकि गंगा दस दोषों को दूर कर आस्थावानों को पापों से मुक्त करती हैं।

इस दिन गंगा के पानी में ध्यान करके भक्तिपूर्वक मंत्र से अर्चना करें। 

ऊं नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।  यह गंगाजी का मंत्र है। इसका अर्थ है कि, हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इससे गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। इस प्रकार गंगा का ध्यान और पूजन करके गंगा के पानी में खड़े होकर ऊं अद्य इत्यादि से संकल्प करें कि, ऐसे-ऐसे समय ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक रोज-रोज एक बढ़ाते हुए सब पापों को नष्ट करने के लिए गंगा स्तोत्र का जप करूंगा। फिर निम्न मंत्र से गंगा की स्तुति करें। 

विष्णुरूपिणी के लिए और तुझ ब्रह्म मूर्ति के लिए बारंबार नमस्कार है। तुझ रुद्ररूपिणी के लिए और शांकरी के लिए बारंबार नमस्कार है, भेषज मूर्ति सब देव स्वरूपिणी तेरे लिए नमस्कार है। सब व्याधियों की सब श्रेष्ठ वैद्या तेरे लिए नमस्कार, स्थावर जंगमों के विषयों को हरण करने वाली आपको नमस्कार । संसाररूपी विष के नाश करने वाली एवं संतप्तों को जिलाने वाली तुझ गंगा के लिए नमस्कार। 

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

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