संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि, गणेश संकष्टी साधना से होंगे सारे कष्ट दूर

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि (Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi): गणेश भगवान विध्नहर्ता के नाम से जाने जाते हैं, इसका कारण भी है। यदि साधक अपनी परेशानियों से निजात पाना और आने वाली समस्याओं को दूर रखना चाहता है, तो उसके लिए गणेश संकष्टी साधना काफी लाभदायक हो सकती है … 

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि (Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi)

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि
Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi

गणेश संकष्टी साधना का महत्व

इस युग में मनुष्य का सामना विभिन्न परेशानियों से होना आम बात है। पर हमें संकटों से जुझने की ताकत भगवान से ही मिलती है। संसार में तीन तरह के संकटों का वर्णन मिलता है, दैहिक यानी शारीरिक कष्ट, दैविक अर्थात दैवीय शक्ति की नाराजगी से होने वाला कष्ट और भौतिक वस्तुओं व वासनाओं के कारण होने वाला कष्ट या संकट। 

आए दिन इनमें से किसी न किसी तरह के संकट का सामना हमें करना पड़ता है। यदि कोई एक तरह का संकट हो, तो मनुष्य किसी न किसी तरह उस पर विजय प्राप्त कर लेता है। परंतु जब एक साथ कई परेशानियां हमें घेर लेती हैं, तो मनुष्य के पास भगवान के अलावा कोई चारा नहीं होता। 

कोई शादी के कारण परेशान होता है, तो किसी को व्यापार में घाटा होने का कष्ट है। किसी को योग्य पत्नी की कमी खलती है, तो किसी को योग्य पति की। कोई अपने संतान से परेशान होता है, तो कोई रिश्तेदारों से। 

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इसके अलावा रोग, दुर्घटना, प्रेत बाधा, तंत्र बाधा आदि भी अनेक समस्याएं है, जो इंसान के जीवन में बार-बार बाधा डालती हैं। ऐसे में व्यक्ति स्वयं को भ्रमित व दिशाहीन सा अनुभव करने लगता है। उसकी समझ में यह नहीं आता है कि आखिर ऐसे में कौन-सी पूजा या साधना की जाए, ताकि जीवन में शांति मिल सके। 

इसका एक ही सटीक जवाब है गणेश जी की संकष्टी साधना। 

वैसे भी गणेश भगवान विघ्नहर्ता हैं और किसी भी गणेश चतुर्थी के दिन गणेश साधना कर आप अपने संकटों से मुक्ति पा सकते हैं। यह ऐसी साधना है, जो दैहिक, दैविक एवं भौतिक ताप को दूर कर सकती है। इस साधना से सभी प्रकार के कष्टों एवं परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। 

इस साधना के माध्यम से जीवन में आ रही, रुकावटों, विपत्तियों और समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सकता है। दरअसल यह ऐसी साधना है, जिसे हर गृहस्थ को करना चाहिए। 

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संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन दैनिक क्रिया व स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। घर के ईशान कोण में स्थित कमरे में साफ-सफाई कर लें। उस कमरे में स्वच्छता के साथ-साथ शांति होना आवश्यक है। इस स्थान पर पीले रंग का ऊनी आसन बिछा लें क्योंकि यह मात्र एकदिवसीय साधना होती है। 

अतः यथासंभव इसे प्रातः जल्दी से जल्दी संपन्न करने का प्रयास करना चाहिए। पीले आसन पर पूर्व की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब अपने सामने बजोट रखकर उस पर पीला कपड़ा बिछा लें और बाजोट पर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर दें। 

बाजोट पर ही या उसके सामने तांबे की एक थाली रखें, उस थाली में कुमकुम अथवा केसर से स्वास्तिक का चिन्ह बना लें। अब संकट हरण या सिद्ध गणेश यंत्र को पंचामृत आदि से स्नान कराकर उसी स्वास्तिक के ऊपर स्थापित करें। 

गणेश संकष्टी साधना का मंत्र

ॐ गं गौरीसुताय संकटहरणाय नमः फट् ।। 

यंत्र के पास घी के दीपक को प्रज्वलित करके रखें। अक्षत, पुष्प एवं धूप, दीप, नैवेद्य आदि से उसका पूजन करें। अब हल्दी की माला से उपरोक्त मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप पूर्ण होने पर 108 बार उपरोक्त मंत्र का जप करते हुए हवन करें। 

हवन सामग्री में काली सरसों, लौंग और काली मिर्च भी मिला लेना चाहिए। ये तीन अतिरिक्त पदार्थ दैहिक, दैविक एवं भौतिक कष्टों को दूर करने में सहायक होंगे। 

हवन के पश्चात यंत्र को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें और अपने इच्छित कार्य की पूर्ति एवं वर्तमान संकट को दूर करने की प्रार्थना करें। इस प्रक्रिया के बाद सारी सामग्री अपने पूजा स्थल पर रख दें। एक महीने के बाद बाजोट में बंधे कपड़े में संपूर्ण सामग्री को लपेट कर बहते हुए पवित्र जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आप सारे कष्टों से मुक्त हो जाएंगे। 

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