श्रीफल किसे कहते है? श्रीफल-यंत्र से पाएं सुख-संपदा

श्रीफल किसे कहते है (Shreephal Kise Kahte Hai)? पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अन्य की उत्पत्ति अन्नपूर्णा से, शाक की उत्पत्ति देवी शाकंभरी से और वृक्षों तथा फलों की उत्पत्ति महादेव, ऋषियों और नक्षत्रों से हुई, जबकि नारियल, जिसे श्रीफल भी कहा जाता है की सृष्टि विश्वामित्र ने की थी –

श्रीफल किसे कहते है (Shreephal Kise Kahte Hai)

श्रीफल किसे कहते है
Shreephal Kise Kahte Hai

श्रीफल किसे कहते है ?

श्रीफल भी वस्तुतः नारियल की जाति का ही है एक लघुत्तम फल है। रूपरेखा में समान होकर भी आकार में यह  नारियल की अपेक्षा बहुत छोटा, छोटी सुपारी अथवा छोटे बादाम के बराबर होता है। इसे भी बहुत पवित्र शुभ और समृद्धकारी माना गया है। 

यह सरलता से प्राप्त हो जाता है। इसे लाकर नारीकेल-तंत्र की तरह पूजा करके कोष, भंडार, संग्रह अथवा   देव-प्रतिमाओं के मध्य रखने से घर में भौतिक-संपदा की वृद्धि होने लगती है। वैसे, इन सभी तांत्रिक वस्तुओं के प्रयोग, इनकी साधना पद्धति का विवेचन तंत्र ग्रंथों में बड़े विस्तार से (जटिल एवं दुष्कर रूप में ) प्राप्त होता है। 

किंतु आज के युग में वह सहज-साध्य नहीं रह गया है। दरअसल श्रीफल को शुभ-मुहूर्त, आस्था, शुचिता और सहज-श्रद्धा के द्वारा नियमित दर्शन-पूजन करने से भी इन वस्तुओं का कुछ-न-कुछ प्रभाव अवश्य दृष्टिगोचर होता है। 

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एकाक्षी नारियल का मंत्र

श्रीफल की पूजा में इस मंत्र का जाप करें- 

ॐ श्रीं  ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं  ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। 

स्मरण रहे कि नारिकेल और श्रीफल की पूजा में इन पर लाल चंदन ही प्रयुक्त करना चाहिए। शंख के लिए श्वेत अथवा पीला चंदन श्रेष्ठ होता है। शेष धूप-दीप और हवन क्रिया सबमें समान रहती है। 

प्रत्येक साधना में मंत्र-जप के समय घी का दीपक जलता रहना चाहिए। सरलता की दृष्टि से यहां सभी प्रयोग बहुत संक्षिप्त और सहज-साध्य रूप में दिए गए हैं। वैसे, यदि साधक समर्थ हो, तो वह जप-संख्या, आहुति-संख्या और साधना-काल में इच्छित वृद्धि कर सकता है। 

इसी प्रकार वह पांच के स्थान पर पचास या सौ ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा दे सकता है। 

साधारण तौर पर नारियल में तीन बिंदु और तीन जटाएं यानी रेखाएं होती हैं, किंतु दुर्लभ वनस्पति तंत्र सिद्धांत के अनुसार जिस नारियल के सिर्फ दो बिंदु हों, उसे एकाक्षी नारियल कहा जाता है। तीन बिंदु वाला नारियल दो आंख और एक मुख, जबकि दो बिंदुओं वाला एक आँख और एक मुँख का माना जाता है। 

चिंतामणि के समान फलदायी प्रभावशाली धन्यतम एकनेत्र और दो जटाओं से युक्त सुपक्व नारियल परम भाग्यशाली को ही प्राप्त होता है। 

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