पिरामिड कहां रखें? पिरामिड यंत्र, से दूर करें वास्तु दोष
पिरामिड कहां रखें (Pyramid Kahan Rakhen): पिरामिड भी अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इन दिनों लोग वास्तु दोष निवारण पिरामिड यंत्रों का इस्तेमाल वास्तु दोष दूर करने में भी करने लगे हैं।
पिरामिड कहां रखें (Pyramid Kahan Rakhen)
वास्तु पिरामिड
भवन निर्माण के समय लापरवाही तथा अज्ञानता के कारण अनेक प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते हैं, जिनको दूर करना आवश्यक होता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो गृह-स्वामी और परिवार के सदस्यों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वास्तु दोषों से छुटकारा पाने के लिए पिरामिड का भी उपयोग किया जा सकता है।
आवासीय भवन या व्यवसायिक स्थल के मुख्य द्वार के भीतर ऊपर की तरफ एक वास्तु पिरामिड को चार कीलें ठोंककर स्थापित कर दें। इससे भवन के समस्त वास्तु दोष दूर होकर शुभ फल की प्राप्ति होने लगती है। परंतु एक वास्तु पिरामिड मात्र 750 वर्गफुट क्षेत्र में ही अपना प्रभाव दिखा सकता है। यदि भवन का क्षेत्रफल 750 वर्गफुट से अधिक और 1500 वर्गफुट से कम हो, तो दो वास्तु पिरामिड स्थापित करें।
पिरामिड के लाभ
जिस प्लॉट पर आप घर बनाने जा रहे हैं, उस भूमि को सौभाग्यशाली बनाने व अशुभ घटनाओं से बचाने तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भवन निर्माण से पूर्व भूखंड के केंद्र में नौ पिरामिड यंत्र स्थापित कर दें। इससे सौभाग्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
इसी प्रकार भूखंड के चारों कोनों में भी नौ पिरामिड यंत्र गाड़ दें। इससे अशुभ घटनाओं से सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इन पिरामिड यंत्रों को भूमि की सतह से एक फुट की गहराई में स्थापित करना काफी लाभदायक होता है।
यदि भूखंड का ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व का कोना अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊंचा होने से वास्तु दोष उत्पन्न हो गया हो, तो नैऋत्य कोण में नी कोण पिरामिड वाले छह यंत्र तथा ईशान कोण में चार यंत्र स्थापित कर दें। वास्तुदोष दूर हो जाएगा।
यदि अमुक दिशा में अमुक कक्ष न बनवाने के कारण वास्तुदोष उत्पन्न हो गया हो और दुकान आदि या भवन में समस्याएं पैदा हो रही हों तो पूर्व दिशा या ईशान कोण में फर्श के नीचे दो फुट की गहराई में त्रिकोण पिरामिड यंत्र विधिवत स्थापित करें। वास्तुदोष का निवारण हो जाएगा।
आवासीय भवन में मुख्य प्रवेश द्वार सही दिशा में स्थित न होने से वास्तुदोष के कारण गृह-स्वामी तथा घर के सदस्यों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। ऐसे वास्तु दोष को दूर करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर ऊपर, दाएं तथा बाएं एक-एक पिरामिड यंत्र स्थापित कर दें। इससे गलत दिशा में बने द्वार का समस्त दोष समाप्त हो जाएगा और आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है। परंतु यह ध्यान रहे कि द्वार के ऊपर वाला पिरामिड यंत्र अन्य दोनों पिरामिड यंत्रों से थोड़ा बड़ा होना चाहिए।
आवश्यक निर्देष
समस्त प्रकार के वास्तुदोषों का निवारण करने के लिए अपने घर, कार्यालय या फैक्टरी के पूजन कक्ष में पीला वस्त्र बिछाकर उस पर एक वास्तु पिरामिड रख दें। तत्पश्चात उसके ऊपर तीन तांत्रिक वस्तुएं हत्थाजोड़ी, सियारसिंघी और बिल्ली की जेर रखकर उसे सिंदूर से भर दें।
इसके बाद उस सिंदूर पर ग्यारह साबुत चावल, ग्यारह साबुत काले उड़द, दो लौंग और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे लक्ष्मी पिरामिड से ढक दें। नित्य प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर लक्ष्मी पिरामिड को उठाकर वास्तु पिरामिड को धूप-अगरबत्ती आदि दें। तदुपरांत उस पर लक्ष्मी पिरामिड रख दें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से सभी प्रकार के वास्तुदोष एवं तांत्रिक प्रयोग दूर हो जाएंगे।
‘पारद’ में विष्णु, कालिका, शिव और ब्रह्मा आदि विभिन्न देवी-देवताओं का वास माना गया है। यदि चैतन्य मंत्रात्मक क्रियाओं द्वारा संस्कारित शिवलिंग, लक्ष्मी प्रतिमा, गणेश प्रतिमा और भगवती काली की प्रतिमा को पारद पिरामिड के रूप में भवन में स्थापित करके उनका पूजन किया जाए तो समस्त प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते है।
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