जाने खाना खाने का नियम, ताकि कमनीयता बरकरार रहे

भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइडेड, सेलूलोज, मिनरल, लवण, वसा, विटामिन, लौह-तत्व, पानी आदि सभी तत्वों का होना जरूरी है। जो हम दूध, घी, फल, हरी सब्जी, मांस, मछली, अंडे द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। खाना कैसे खाना चाहिए? भोजन हमेशा रुचिकर व सुपाच्य होना चाहिए। अरुचिकर व गरिष्ठ भोजन पाचन क्रिया पर अच्छा प्रभाव नहीं डालते। इसलिए खाना खाने का नियम (Khana Khane Ka Niyam) अच्छे से पता होना चाहिए – 

खाना खाने का नियम (Khana Khane Ka Niyam)

खाना खाने का नियम
Khana Khane Ka Niyam

यह सच है कि मनुष्य भूख से मरता है, यह भी सच है कि मनुष्य अधिक खाने से मरता है। इसलिए मनुष्य के शरीर में ऊर्जा की पूर्ति के लिए उचित मात्रा में संतुलित आहार लेना जरूरी है वरना फायदे के बजाय नुकसान भी हो सकता है। पांच वर्ष की आयु तक के शिशु को 1000 कौलोरी की आवश्यक्ता होती है।

इसी तरह उम्र के साथ-साथ शरीर के लिए कैलोरी की मात्रा बढ़ती जाती है। छह-सात वर्ष की आयु के लिए 1300 कैलोरी, 10-11 वर्ष की लिए 1800 कैलोरी, 14 वर्ष की बालिका तथा बालक के लिए 2100 कैलोरी तथा वयस्क मनुष्य के लिए 2500 कैलोरी, अधिक परिश्रम करने वाले के लिए 3000 कैलोरी तथा गर्भवती महिला के लिए 2200 से 3000 कैलोरी भोजन की आवश्यक्ता होती है।

भोजन कब करें?

भूख जब अच्छी लगे तभी भोजन करना चाहिए। भूख लगने पर भोजन करना आवश्यक भी है। भूख लगने पर भोजन न करने से जठराग्नि मंद पड़ जाती है। भोजन निश्चित समय पर ही करना चाहिए, समय के आगे-पीछे भोजन करने पर अजीर्ण, सुस्ती, सिर दर्द, अपचन जैसी शिकायतें उत्पन्न हो सकती हैं।

दो बार के भोजन में आठ से दस घंटे का अंतर होना चाहिए। ठंडे देशों में दिन का भोजन हल्का व रात्रि का भोजन भारी लिया जाता है, जबकि गर्म देशों (भारत) में इसके ठीक विपरीत दिन की अपेक्षा रात्रि में भोजन हल्का व कम खाना चाहिए। 

भोजन कितना करें?

जितनी भूख हो उससे कम ही भोजन करें। कम खाने से शरीर कमजोर हो जाता है और अधिक खाने से शरीर में आलस्य व भारीपन आ जाता है। 

भोजन कैसे करें?

खाना को दांतों से चबा-चबा कर खाना चाहिए। इससे भोजन का स्वाद मिलता है। पाचन क्रिया भी अच्छी होती है। भोजन को चबा-चबा कर नहीं खाने से दांतों का काम आंतों को करना पड़ता है। भय, चिंतातुर, अप्रसन्न होकर भोजन नहीं करना चाहिए। 

भोजन कैसा हो?

हर रोज एक जैसा भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन में कई प्रकार की सब्जी, दाल, रोटी, सलाद, फल होना रुचिकर होता है तथा शरीर को संतुलित आहार भी मिलता है। बासी, बिना ढका, जानवर का मुंह लगा भोजन, रोगी द्वारा थाली में छोड़ा गया भोजन नहीं खाना चाहिए। इससे संक्रमण होने का भय रहता है। 

भोजन के साथ पानी

खाना के साथ पानी आवश्यक है। शीतल, निर्मल पानी साफ गिलास में पीना चाहिए। भोजन करते समय बीच-बीच में पानी पीते रहना चाहिए। भोजन के अंत में ज्यादा पानी पीने से कफ की वृद्धि होती है। भोजन के आरम्भ में पानी पीने से भूख शांत हो जाती है। 

भोजन के बाद

भोजन के बाद दांतों की सफाई जरूरी है वरना दांतों में फंसे अन्न कण सड़न पैदा कर दांतों व मसूढ़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। 

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

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