पितृदोष निवारण के उपाय, कैसे करें पितृदोष का निवारण
पितृदोष निवारण के उपाय (Pitra Dosh Nivaran Ke Upay): श्राद्ध कर्म में तर्पण का बहुत महत्व है। यह अनिवार्य कर्म है, क्योंकि इससे पितर संतुष्ट व तृप्त होते हैं। ब्राह्मण भोजन से एक पितर और तर्पण करने से सभी पितर तृप्त और संतुष्ट हो जाते हैं, ऐसी धार्मिक मान्यता है –
पितृदोष निवारण के उपाय (Pitra Dosh Nivaran Ke Upay)

पितृदोष और निवारण
शास्त्रों में पितृदोष को दूर करने के लिए कई सार्थक उपाय बताए गए हैं। अपनी योग्यता के अनुसार पितर को तृप्त कर आप भी पितर का आशीर्वाद पा सकते हैं।
- पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृ श्राद्ध, नागबली, नारायण बलि, कुलदेवता या कुल देवों की विशेष अवसरों पर विस्मृति अमावस्या के दिन क्रूर ग्रहों की शांति के लिए जाप और दान, त्रिपिंडी श्राद्ध, शांति स्त्रोत का पाठ करना अति लाभदायक होता है।
- शांति स्रोत का पाठ घर में करने से घर का वातावरण सुखद होने लगता है। इस क्रम में श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना आत्मिक शांति देता है।
- वृक्षों में पीपल के वृक्ष को समस्त वनस्पतियों में राजा और पूजनीय माना गया है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- “अश्वस्यः सर्ववृक्षाणां।” अर्थात मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं। स्पष्ट है कि भगवान ने पीपल के वृक्ष को स्वयं का ही स्वरुप माना है।
- यदि सूर्योदय के समय स्नान करके एक लोटा जल पीपल को चढ़ाएं और घी का दीपक जलाकर, अपनी भूलों की क्षमा याचना करें, तो पितृदोष का निवारण होता है।
- श्राद्ध धन से संपन्न होगा, ऐसा नहीं है। जिसके पास अपने खाने के लिए भी दाना नहीं है, वह भी अपने पितरों को श्रद्धाभाव सहित से तर्पित कर सकता है।
- शास्त्रों में विधान है, घर में कुछ भी न होने पर पितरों की तिथि में एकांत में दोनों हाथ ऊपर उठाकर भक्ति भाव से अश्रुपात करते हुए पितरों की तृप्ति के लिए भगवान से विनती करें तो पितृ गण भी श्राद्ध से तृप्त होकर अपने संतति को सभी सुख समृद्धि से तृप्त कर देते हैं।
- पितृपक्ष में पितरों से संबंधित दान केवल ब्राह्मणों को दिया जाना चाहिए। क्योंकि इस काल में ब्राह्मण भोज का विशेष महत्व है। विभिन्न ग्रंथों के अनुसार पितरों को कभी भी निराश नहीं लौटाना चाहिए।