कुंडली में गुरु का प्रभाव, व्यक्ति के कर्म बनाते हैं बृहस्पति को शुभ-अशुभ 

कुंडली में गुरु का प्रभाव (Kundli Mein Guru Ka Prabhav): बृहस्पति को नवग्रहों में सबसे शुभ ग्रह माना गया है, जो मान-सम्मान, संतान सुख और विद्या का कारक है। बृहस्पति के निर्बल होने पर या अपने कर्मों द्वारा निर्बल कर लिए जाने पर इसके शुभ फल’ नष्ट हो जाते हैं –

कुंडली में गुरु का प्रभाव (Kundli Mein Guru Ka Prabhav)

कुंडली में गुरु का प्रभाव
Kundli Mein Guru Ka Prabhav

कुंडली में बृहस्पति का स्थान

ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शुभ बृहस्पति की स्थिति राजयोग कारक है। लाल किताब में बृहस्पति को जगत गुरु और बह्मा जी महाराज कहा गया है। बृहस्पति का पक्का घर कुंडली का नवम भाव है, इसके अलावा यह एक से पांच भाव और 12वें भाव में भी शुभ असर देता है। आमतौर पर छठे, सातवें, आठवें और दसवें घर में बृहस्पति का मंदा असर सामने आता है। 

इसलिए बृहस्पति के मंदे या नेक असर को समझने के लिए कुंडली के सभी घरों और उनमें स्थित ग्रहों को भी देखना जरूरी होता है। यदि दूसरे, पांचवें, नौवें और बारहवें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों, जैसे शुक्र, बुध और राहु बृहस्पति के साथ हों, तो बृहस्पति का असर मंदा होगा। यदि बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में या चौथे भाव में हो या अपने कारक घरों में हो, तो शुभ असर होगा।

दसवें भाव

यदि दसवें भाव या घर में दो या दो से अधिक ऐसे ग्रह हों, जो आपस में शत्रु हों या नीच राशि के ग्रहों से दसवां भाव खराब हो तो कुंडली के सभी ग्रह अंधे की तरह फल देने वाले होते हैं अर्थात् बहुत हद तक उस कुंडली में शुभ ग्रहों का भी फल निष्फल रहता है। इस प्रकार के योग में व्यक्ति जीवन में कितना भी संघर्ष और मेहनत करें, उसे पूर्ण प्रतिफल नहीं मिल पाता। कार्यक्षेत्र में उतार चढ़ाव आते रहते हैं।

दसवां घर शनि का पक्का स्थान है और इसका जातक के कर्मक्षेत्र और जीवन यापन के साधन से सीधा संबंध है। इस घर में यदि एक से ज्यादा शत्रु ग्रह हों तो ये नौकरी या व्यवसाय में स्थिरता नहीं रहने देंगे। उदाहरण के लिए दसवें घर में यदि सूर्य, केतु और शुक्र में कोई दो या तीनों ग्रह आ जाएं तो इस प्रकार की कुंडली अंधे ग्रहों का टेवा कहलाएगी।

इसी प्रकार यदि बृहस्पति, राहु और शुक्र दसवें घर में हों तो यह कुंडली अंधे ग्रहों की कुंडली होगी। यहां बृहस्पति पहले से बहुत कमजोर है, क्योंकि यहां गुरु दसवें भाव में कालपुरुष कुंडली के अनुसार अपने नीच घर में अपने शत्रु राहु और शुक्र के साथ है। यहां राहु और शुक्र दोनों अपने मित्र ग्रह शनि के घर में होने से बलवान हैं। 

इस प्रकार के योग से कुंडली में बृहस्पति का प्रभाव निष्फल हो जाएगा या उसके शुभ प्रभाव में कमी आ जाएगी। यहां बृहस्पति होने से धन कमाने के लिए दिमागी काम के बजाय शारीरिक मेहनत से किए काम से लाभ होता है। दूसरों की भलाई करना अशुभ फल देता है अर्थात यहां शनि के पक्के घर में बैठे बृहस्पति को शनिवत व्यवहार से ही लाभ हो सकता है।

यदि बृहस्पति, शुक्र और राहु दसवें घर में हों तो अंधे व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए। किसी भी एक समय का पूरा नाश्ता या दोपहर का भोजन, जिसमें मीठा जरूर हो, खुद दस दृष्टिहीन व्यक्तियों को परोसें। 

कर्म से प्रभावित होते हैं बृहस्पति

व्यक्ति के अपने आचरण, व्यवहार, कामकाज, रिश्तेदारों, मकान तथा अन्य कई प्रकार की स्वयं से जुड़ी स्थितियों, चीजों और हालातों से भी किसी ग्रह का असर प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति कुंडली में नौवें घर में हो और किसी भी तरीके से अशुभ न हो। लेकिन ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति पीपल के दरख्त कटवाए या पिता, साधु-संतों, बुजुर्गो, ब्राह्मणों की अवहेलना या अपमान करने लगे तो उसका उत्तम बृहस्पति भी निष्फल हो जाएगा। 

गुरु के उपाय लाल किताब

बृहस्पति को अनुकूल करने के लिए दस दृष्टिहीन व्यक्तियों को भोजन खिलाएं और फिर बृहस्पति की कारक वस्तुएं हल्दी या चने की दाल धर्मस्थान में देने से इसका प्रभाव ठीक होगा। कुंडली में मित्र ग्रहों सूर्य, चंद्रमा और मंगल के साथ युति होने से बृहस्पति की शक्ति में वृद्धि होती है और शुभ फल मिलते हैं।

सूर्य के साथ होने पर बृहस्पति प्रतिष्ठा दिलाता है। बुध, शुक्र और राहु, बृहस्पति के शत्रु ग्रह हैं। इन ग्रहों के साथ मिलकर बृहस्पति जातक को प्रभावित करता है। ऐसे में बृहस्पति के मित्र ग्रहों के उपाय से सहायता मिलती है। 

शुक्र द्वारा बृहस्पति पीड़ित हो तो सूर्य और मंगल के उपाय सहायक होते हैं। इसी प्रकार राहु से बृहस्पति पीड़ित हो तो सूर्य, चंद्र और मंगल के उपाय सहायक होते हैं। यदि जन्मकुंडली में बृहस्पति सातवें घर में हो, तो घर में मंदिर बनाने और रोज पूजा-पाठ करने से इसका फल मंदा हो जाता है।

कुंडली के दसवें घर में बृहस्पति हो तो घर के पश्चिम भाग में पूजा स्थान बनाने से भी बृहस्पति मंदा प्रभाव देते हैं, क्योंकि दसवें भाव में बृहस्पति नीच का माना जाता है। इस तरह लाल किताब में बताए उपायों को अपनाकर आप भी अपने बृहस्पति को मजबूत बना सकते हैं। 

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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