घर की सुख शांति में ग्रहों का योग

घर की सुख शांति (Ghar Ki Sukh Shanti): अपना घर बनाना और उसमें सुख से रहना हर व्यक्ति का सपना होता है, मगर कई बार लाख कोशिशों के बावजूद या तो घर ही नहीं बन पाता, यदि बन जाए तो उसमें रहने पर सुख-शांति नहीं मिलती। आपके भाग्य में घर का सुख है या नहीं, इस बारे में कुंडली से स्पष्ट संकेत मिल सकते हैं –

घर की सुख शांति (Ghar Ki Sukh Shanti)

घर की सुख शांति
Ghar Ki Sukh Shanti

घर का सुख देखने के लिए मुख्यतः कुंडली का चौथा भाव देखा जाता है। चौथे स्थान के स्वामी ग्रह का शुभ योग ही घर की सुख शांति के लिए जिम्मेदार होता है। इस भाव में बैठा ग्रह यदि बलवान हो तो घर में सारी सुख सुविधाएं आती हैं। इसलिए इस भाव में गुरु, शुक्र और चंद्र के बलाबल का विचार प्रमुखता से किया जाता है। जब-जब मूल राशि स्वामी या चंद्रमा से गुरु, शुक्र या चतुर्थ स्थान के स्वामी का शुभ योग होता है, तब घर खरीदने, नवनिर्माण या मूल्यवान घरेलू वस्तुएं खरीदने का योग बनता है। यहां प्रस्तुत है

गृह-सुख संबंधी कुछ बातें –

  • चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हों तो घर का सुख उत्तम रहता है।
  • यदि कुंडली में चंद्रमा चतुर्थ में शुभ हो तो भी घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं। 
  • वहीं चतुर्थ स्थान पर गुरु-शुक्र की दृष्टि उच्च कोटि का हो तो ऐसे लोगों को घर का सुख मिलता है। घर हमेशा धन-धान्य से भरा होता है।
  • यदि चतुर्थ स्थान का स्वामी 6, 8, 12 स्थान में हो तो गृह निर्माण में बाधाएं आती हैं। उसी तरह 6, 8, 12 भावों में स्वामी चतुर्थ स्थान में हो तो गृह सुख बाधित हो जाता है।
  • जबकि चतुर्थ स्थान का मंगल घर में आग से दुर्घटना का संकेत देता है। इससे घर में हमेशा अशांति रहती है।
  • अगर जातक के कुंडली के चतुर्थ में शनि हो, शनि की राशि हो या दृष्टि हो तो घर में सीलन, बीमारी व अशांति रहती है।
  • ऐसे घरों में बिजली की भी समस्या होती है यानी बिजली की चीजें अकसर खराब ही रहती है।

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  • केतु अगर शुभ न हो तो जीवन में बहुत सारी समस्याएं आती हैं। वैसे ही चतुर्थ स्थान का केतु घर में उदासीनता देता है। परस्पर घर के लोगों में तनाव भी रहता है। जिससे घर की सुख-शांति भंग हो जाती है।
  • चतुर्थ स्थान का राहु गृह-सुख में कमी लाता है। क्योंकि चतुर्थ का राहु मानसिक अशांति, पीड़ा, चोरी आदि का डर देता है।
  • चतुर्थ स्थान का अधिपति यदि नैप्च्यून से अशुभ योग करे तो घर खरीदते समय या बेचते समय धोखा होने के संकेत मिलते हैं। 
  • चौथे स्थान में यूरेनस यदि पापग्रहों से योग कर रहा हो तो यह अवस्था घर में दुर्घटना, विस्फोट आदि के योग बनाता है।
  • चौथे स्थान का अधिपति ग्रह यदि 1, 4, 9 या 10 में हो तो इस स्थिति में भी गृह सुख उच्च कोटि का मिलता है।
  • इस तरह उपरोक्त संकेतों के आधार पर कुंडली का विवेचन कर घर खरीदने या निर्माण करने की शुरुआत की जाए तो लाभ हो सकता है।
  • इसी तरह पति, पत्नी या घर के जिस सदस्य की कुंडली में गृह-सुख के शुभ योग हों, उसके नाम से घर खरीदकर भी कई परेशानियों से बचा जा सकता है। 

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

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