श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं, जाने कब कौन सा श्राद्ध करें? 

श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं (Shraddh Kitne Prakar Ke Hote Hain): पितरों का आशीर्वाद हम पर बना रहे इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए, प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष आता है, जिसके दौरान उनके लिए श्राद्ध तर्पण किया जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार मुख्य रूप से तीन प्रकार के श्राद्ध होते है, जिन्हें नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य श्राद्ध कहते हैं। परन्तु उनके विस्तार रूप में बारह प्रकार के श्राद्ध है।

श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं (Shraddh Kitne Prakar Ke Hote Hain)

श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं
Shraddh Kitne Prakar Ke Hote Hain

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श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं?

श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, श्राद्ध के 12 प्रकारों का वर्णन निर्णय सिंधु और भविष्य पुराण में मिलता है।

नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिण्डन, पार्वण, गोष्ठी, शुद्धयर्थ, कर्माग, यात्रार्थ, पुष्ट्यर्थ व तीर्थ श्राद्ध।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें यह श्राद्ध

नित्य श्राद्ध – प्रतिदिन जल, अन्न, दूध, कुश, फूल और फलों से श्राद्ध करने से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।

नैमित्तिक श्राद्ध – यह श्राद्ध विशेष अवसरों पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, पिता आदि की मृत्यु के दिन, इसे एकोद्दिष्ट कहा जाता है।

काम्य श्राद्ध – यह श्राद्ध किसी विशेष मनोकामना, सिद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

सौभाग्य की कामना के लिए करें यह श्राद्ध

वृद्धि श्राद्ध – पुत्र के जन्म, वास्तु प्रवेश, विवाह आदि हर शुभ कार्य में पितरों की प्रसन्नता के लिए किए गए श्राद्ध को वृद्धि श्राद्ध कहते हैं। यह विकास की कामना के लिए किया जाता है। इसे नान्दी श्राद्ध या नान्दीमुख श्राद्ध भी कहा जाता है, यह एक प्रकार का कर्म कार्य है।

पार्वण श्राद्ध – पार्वण श्राद्ध को पर्व से सम्बंधित कहा गया है। यह श्राद्ध विश्वदेव के साथ होता है। पितृ पक्ष, अमावस्या या पर्व की तिथि जैसे किसी भी पर्व पर किए जाने वाले श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं।

सपिण्डन श्राद्ध – सपिण्डन शब्द का अर्थ पिण्डों को मिलाना है। पितर में ले जाने की विधि सपिण्डन है। पितृ पिण्डों के बीच प्रेत पिण्ड को मिलाया जाता है। जिसे सपिण्डन श्राद्ध कहा जाता है।

समूह में किया जाने वाला श्राद्ध

गोष्ठी श्राद्ध – गोष्ठी शब्द का अर्थ समूह होता है। जो श्राद्ध सामूहिक रूप से या सभी संबंधियों द्वारा एक साथ किया जाता है। उसे गोष्ठी श्राद्ध कहते हैं।

शुद्धयर्थश्राद्ध – वह श्राद्ध जो शुद्धि / पवित्रता के उद्देश्य से किया जाता है। इसे शुद्धयर्थश्राद्ध कहते हैं। उदाहरण के लिए, ब्राह्मण भोज शुद्धिकरण के लिए कराना चाहिए।

कर्मागश्राद्ध – कर्माग का सीधा अर्थ यह है कि कर्म का एक भाग अर्थात श्राद्ध जो किसी बड़े कर्म के भाग के रूप में किया जाता है। कर्मागश्राद्ध कहते हैं।

यात्रा के लिए करें ये श्राद्ध

यात्रार्थश्राद्ध – यात्रा की सफलता के लिए किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। उदाहरण के लिए, तीर्थ यात्रा के उद्देश्य के लिए या देशांतर जाने के उद्देश्य से, जो श्राद्ध करना चाहिए वह यात्रा श्राद्ध है। इसे घृतश्राद्ध भी कहते हैं।

पुष्ट्यर्थ श्राद्ध – पुष्टि के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध, जैसे शारीरिक और आर्थिक उन्नति के लिए किया जाने वाला श्राद्ध पुष्ट्यर्थ श्राद्ध कहलाता है।

तीर्थ श्राद्ध – यह श्राद्ध आमतौर पर मंदिर में ही किया जाता है।

अमावस्या को इनका श्राद्ध पूर्ण होता है

जिन लोगों को मृत्यु के दिन की सटीक जानकारी नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। सांप के काटने, बीमारी, अकाल मृत्यु, आग में जलने से मृत्यु या जिनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका है, उनका श्राद्ध भी अमावस्या के दिन किया जाता है।

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।