नाग पंचमी का उत्सव, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक नागपंचमी
नाग पंचमी का उत्सव (Nag Panchami Ka Utsav): श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग-पंचमी का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं, इस दिन नाग की पूजा करने से जीवन में सुख- समृद्धि आती है तथा अकारण होने वाले भय से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी का उत्सव (Nag Panchami Ka Utsav)
भारत में यह पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है। श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन नाग पंचमी का यह पर्व परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। यही नहीं इस दिन नाग दर्शन का भी विशेष माहात्म्य है। इसके व्रत में चतुर्थी को केवल एक बार भोजन करना होता है और पंचमी को दिनभर उपवास करके शाम को भोजन करने का विधान है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध होता है। कहीं-कही सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है।
पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा के कुछ भागों में इस दिन नागों की देवी मां मनसा की अराधना की जाती है। केरल के मंदिरों में इस दिन शेषनाग की विशेष पूजा- अर्चना होती है। इस दिन सरस्वती देवी की भी पूजा की जाती है और बौद्धिक कार्य किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन घर की महिलाएं उपवास रखें और विधि-विधान से नाग देवता की पूजा करें तो परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहता।
कैसे करें नाग पूजन
- ॐ प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त से हो जाएं।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर, घर के दरवाजे या पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाया जाता है। फिर दूध, दूब, कुश, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। लड्डू और मालपुआ का भोग बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सर्प की दूध से स्नान कराने से सांप का भय नहीं रहता।
- नाग पूजा में सफेद कमल का विशेष महत्व होता है। इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
- कहीं-कही चांदी, सोने, काठ या मिट्टी की कलम से हल्दी और चंदन की स्याही बनाकर पांच फन वाले पांच नाग बनाकर भी पूजा करने का विधान है। फिर दिन में पंचामृत, खीर, कमल, धूप, नैवेध आदि से विधिवत नागों की पूजा की जाती है।
- कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
- पूजन के बाद ब्राह्मणों को लड्डू या खीर का भोजन कराएं।
- नागदेव को दूध भी पिलाना चाहिए।
- पंचमी को नाग की पूजा करने वाले व्यक्ति को उस दिन भूमि नहीं खोदनी चाहिए।
- पूजा समाप्त होने के बाद आरती कर कथा श्रवण करना चाहिए।
- ध्यान दें: जिनके कुंडली में कालसर्प का योग रहता है, उसे विशेषकर इस दिन नागदेवता की पूजा करनी चाहिए। इससे कालसर्प दोष का निवारण होता है।
- नागदेव की सुगंधित पुष्ण और चंदन से ही पूजा करनी चाहिए, क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है। ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।
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