भगवान को लाल गुलाल ही क्यों चढ़ाएं ?

भगवान को लाल गुलाल (Bhagwan ko lal gulal): भगवान शिव बेलपत्र से प्रसन्न होते हैं, गणपति दुर्वा को स्नेह से स्वीकारते हैं और तुलसी नारायण-प्रिया है ! ठीक इसी तरह देवताओं का प्रिय रंग भी है। इन रंगों का अर्थ भी अलग-अलग होता है – 

भगवान को लाल गुलाल (Bhagwan ko lal gulal)

भगवान को लाल गुलाल
Bhagwan ko lal gulal

भगवान की पूजा में लाल गुलाल का विशेष महत्व है। दरअसल, लाल रंग प्रवृत्ति के तीन मूल रंगों में से एक है, जो प्रेम और सद्भाव का भी प्रतीक है। भगवान को लाल गुलाल लगाकर हम अपने भाव और संवेदना को व्यक्त करते हैं। अन्य रंगों की तुलना में लाल रंग का वेवलेंथ सबसे अधिक होता है, जिससे हर परिस्थिति में यह लाल ही दिखाई देता है। इसलिए पूजा में हम लाल रंग का प्रयोग करते हैं, क्योंकि यह रंग तेज, वर्ण, ऊर्जा, साहस और बल का प्रतीक है। 

भगवान विष्णु को पीला रंग ही पसंद क्यों है, जबकि मां लक्ष्मी को लाल रंग?  इसी तरह मां काली काले वस्त्र में सुशोभित हैं। यही नहीं पूजन विधि में भी इन रंगों का विशेष ख्याल भी रखा जाता है। दरअसल रंगों की ये  विभिन्नता देवी-देवताओं का प्रतीक है, जिनका अर्थ भी भिन्न होता है। 

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लाल रंग से प्रसन्न होती है लक्ष्मी 

मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। दरअसल, लाल रंग हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह रंग हम सभी में आत्मविश्वास जगाता है। अपने इसी आत्मविश्वास और मजबूत इरादों के बल पर ही हम लक्ष्मी की प्राप्ति कर पाते हैं।  लाल रंग सौभाग्य का भी प्रतीक है। मां लक्ष्मी लाल रंग का वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं। राम भक्त हनुमान को भी लाल रंग प्रिय है। इसलिए भक्तगण सिंदूर अर्पित करते हैं। 

विष्णु को प्रिय पीला 

विष्णु को प्रिय पीला
विष्णु को प्रिय पीला 

भगवान विष्णु को पीतांबरधारी भी कहा जाता है, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित हैं। इनकी पूजा में पीले रंग को प्रमुखता दी जाती है। दरअसल, पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है। यह सादगी और निर्मलता का भी प्रतीक है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु को भी पीला रंग प्रिय है। पीला रंग धारण करने से हमारी सोच सकारात्मक होती है। यह हमारे सृजन का भी प्रतीक है। यह हमें परोपकार करने की प्रेरणा देता है। इसलिए विष्णु को पीला रंग प्रिय है। 

शनि देव को पसंद है काला 

शनिदेव को काला रंग प्रिय है। काला रंग तमस का कारक है। शनि प्राणियों के मन के तमस और मैल को दूर करके उसके भीतर ज्ञान का उजाला फैलाते हैं। इसलिए तमस का शमन अनिवार्य है। 

ब्रह्मा जी को सफेद ही क्यों 

सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी हमेशा सफेद वस्त्रों में ही रहते हैं .जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्मा, यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं .वे किसी के साथ पक्षपात नहीं करते हैं। सफेद रंग पारदर्शिता और कोमलता का भी प्रतीक है। 

मां काली को काला रंग 

काला रंग काली को प्रिय है। काले वस्त्रों को धारण करने वाली मां असुरों यानी दुर्गुणों का नाश करती हैं। 

केसरिया बनाम साधु सन्यासी 

आमतौर पर सन्यासी भगवा वस्त्र पहनते हैं। भगवा रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है। लाल रंग से हममें दृढ़ संकल्प आता है और पीले से सात्विक प्रवृति का विकास होता है।

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