ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचे, जाने ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे सुरक्षित रहें?

ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचे (Online Fraud Se Kaise Bache): आजकल इंटरनेट का इस्तेमाल पैसे कमाने के गलत तरीकों के लिए भी किया जाता है, जब भी आपके बैंक खाते से धोखाधड़ी या गलत तरीके से पैसा निकाला जाता है, तो इसे ऑनलाइन धोखाधड़ी कहा जाता है। ऑनलाइन फ्रॉड कई तरह से होता है, जिसमें ऑनलाइन शॉपिंग, ई-बैंकिंग/मोबाइल बैंकिंग मैसेज आदि फ्रॉड का अच्छा जरिया बन गए हैं। आये दिन किसी न किसी के मुँह से सुनने को मिल ही जाता है, कि आज मेरे अकाउंट से अपने आप पैसे निकल गए। तो ! आईये जानते है कि ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे बचा जा सकता है?

ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचे (Online Fraud Se Kaise Bache)?

ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचे
Online Fraud Se Kaise Bache

ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचे?

बढ़ते इंटरनेट के इस्तेमाल ने ऑनलाइन धोखाधड़ी को बहुत आसान बना दिया है, और यह तभी संभव हो पाता है, जब फ्रॉड करने वाला या तो आपके बारे में पहले से जानता हो, या फिर वो आपकी गोपनीय जानकारी को किसी माध्यम से प्राप्त कर ले। 

तो, बस यहाँ यही कहा जा सकता है, कि सतर्क रहे, सुरक्षित रहे – अपनी गोपनीय जानकारी के प्रति संवेदनशील रहे। क्योंकि अक्सर देखा गया है की धोखाधड़ी के शिकार 90% लोग अपनी ही गलती का नतीजा भुगतते है। जब आप सतर्क रहेंगे, तो आप कभी भी ऑनलाइन धोखाधड़ी में नहीं फंस सकते। 

तो आईये जानते है यहाँ कुछ नियमों के बारे में, जिसका पालन करके आप अपनी सुरक्षा तो बढ़ाएंगे ही, साथ में आसानी से ऑनलाइन धोखाधड़ी से भी बच सकते है।

1. कठिन पासवर्ड रखें, उन्हें समय-समय पर बदलते रहें

हमें अपना पासवर्ड हमेशा सख्त रखना चाहिए, अगर पासवर्ड कमजोर है तो कोई भी आपका पासवर्ड हैक कर सकता है और आपके डेटा के साथ खेल सकता है, इसके लिए आपको स्पेशल करैक्टर सिंबलो और विभिन्न प्रकार के साइन का ध्यान रखने की जरूरत है। नेम, जन्मदिन की तारीख़, कार का नंबर, बाइक का पंजीकरण नंबर, घर का नंबर, मोबाइल नंबर आदि को अपने पासवर्ड के रूप में उपयोग न करें। 

2. कार्ड को अपडेट करने के बाद इसे बैंक में अपडेट करना सुनिश्चित करें

अपनी जानकारी अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता को देना महत्वपूर्ण है। पता या मोबाइल नंबर बदलने की स्थिति में तुरंत बैंक को सूचित करें। इससे आपको बैंक या आपके खाते में होने वाले किसी भी बदलाव के बारे में आसानी से सूचित किया जा सकता है। हर हफ्ते कम से कम एक बार बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड अकाउंट चेक करने के साथ-साथ ट्रांजैक्शन पर भी नजर रखना जरूरी है। सक्रिय रहें, और मोबाइल बैंकिंग के साथ अपने लेनदेन पर नज़र रखें।

3. सुरक्षित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करें 

  • हमेशा सुरक्षित नेटवर्क से ही अपने खातों को एक्सेस करें। 
  • साइबर कैफे या फ्री वाई-फाई से इंटरनेट बैंकिंग या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन न करें।
  • समय-समय पर कंप्यूटर से लॉग ऑफ करें और समय-समय पर कैशे मेमोरी को साफ करें
  • वेबसाइट का एड्रेस जांचें। ब्राउज़र स्टेटस बार पर लॉक आइकन या https, जहां ‘s’ इसे दर्शाता है, कि वेबसाइट सिक्योर (सुरक्षित) है।

4. सुरक्षित भुगतान

सीधे भुगतान करने से बचें। इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक बैंक हस्तांतरण के माध्यम से भुगतान से बचें क्योंकि एक बार बैंक से पैसा निकल जाने के बाद उसे वापस पाना मुश्किल होता है।

यदि आप क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर रहे हैं, तो उस कार्ड से भुगतान करें जिसकी सीमा कम है। अगर आप डिजिटल वॉलेट से पेमेंट कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि इसमें पहले से पैसा नहीं होना चाहिए। भुगतान तभी करें जब आप खरीदारी करें। किसी भी साइट पर कार्ड विवरण सेव न करें। 

कई लोग शॉपिंग करते समय बार-बार कार्ड नंबर डालने की परेशानी से बचने के लिए अपना कार्ड नंबर और एक्सपायरी आदि उस साइट पर सेव कर लेते हैं। ऐसा करने से बचें। अगर आप थोड़ी सी परेशानी से बचने के लिए ऐसा करते हैं, तो यह आपको बड़ा झटका लगा सकता है।

5. ओटीपी पर सावधानी

ओटीपी का मतलब वन टाइम पासवर्ड है। जब भी आप किसी वेबसाइट या ऐप में रजिस्टर या लॉगइन करते हैं तो आपको कंफर्मेशन के लिए ओटीपी मिलता है। हैकर्स इसका दुरुपयोग कर सकता है। आपके डेटा को बदल या चुरा सकता है। ऐसी गोपनीय जानकारी किसी के साथ साझा न करें।

6. सोशल मीडिया पर सावधानी

हमें सारी जानकारी सोशल मीडिया पर नहीं रखनी चाहिए और न ही महत्वपूर्ण तस्वीरें रखनी चाहिए। इन धोखेबाजों से खुद को दूर रखने के लिए आपको कभी भी अपनी निजी जानकारी किसी भी वेबसाइट पर नहीं डालनी चाहिए, सोशल मीडिया पर कमेंट करने में भी आपकी जानकारी का गलत इस्तेमाल हो सकता है। इससे आपको सावधान रहना चाहिये। 

7. फ़िशिंग से सावधान रहें

फ़िशिंग एक ईमेल है, जो आपके डेटा को जानने के लिए भेजा जाता है। जैसे खाता संख्या पासवर्ड इत्यादि। वह ईमेल ऐसी लगेगी कि, यह बैंक या किसी शॉपिंग वेबसाइट या बड़े व्यापार संगठन से भेजी गयी है। इनके माध्यम से आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगने का प्रयास किया जाता है।

यह आपको ईमेल के माध्यम से एक लिंक भेजकर सोशल मीडिया जैसे फेसबुक पर लॉगिन करने के लिए कहते है। इन लिंक्स पर क्लिक करने से एक फर्जी वेबसाइट खुल जाती है। जैसे ही आप अपना यूजर आईडी और पासवर्ड दर्ज करते हैं, आपका मोबाइल नंबर, लॉगिन आईडी, पासवर्ड, डेबिट / क्रेडिट कार्ड की जानकारी, सीवीवी, जन्म तिथि आदि चोरी हो सकता हैं।

8. धोखाधड़ी कॉल

कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें कॉल आती है या मैसेज आता है और कहा जाता है कि हमारा खाता बंद होने वाला है या हमारे खाते में पैसा आने वाला है, यह कहकर वे हमसे हमारे बैंक खाते का विवरण पूछते हैं, तो आप किसी भी स्थिति में अपने बैंक का विवरण न बताएं क्योंकि यदि आप अपने बैंक के विवरण की जानकारी दे देते हैं, तो वे एक ही बार में आपके सारे पैसे निकाल लेंगे। 

9. नकली दोस्त से कैसे बचें?

साइबर क्राइम की दुनिया में एक नया तरीका चलन में है। इसमें फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आपके करीबी के नाम से फेक प्रोफाइल बनाकर नई रिक्वेस्ट भेजी जाती है। फिर मैसेज भेजकर इमरजेंसी के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।

फोटो से लेकर जानकारी तक सब कुछ फर्जी प्रोफाइल में डाला जा रहा है, जिससे लोगों को कोई शक न हो। लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप पता लगा सकते हैं कि जिस प्रोफाइल से पैसे मांगे जा रहे हैं वह फर्जी है या नहीं।

10. कस्टमर केयर के नाम पर हो रही धोखाधड़ी

इन दिनों हर उत्पाद और सेवा के लिए ग्राहक सहायता उपलब्ध है। ऐसे में लोग किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत कस्टमर सपोर्ट का नंबर सर्च करने लगते हैं। साइबर क्रिमिनल्स पहले ही कस्टमर सपोर्ट के नाम पर अपना नंबर इंटरनेट पर डाल चुके हैं। लोग इसे कस्टमर सपोर्ट नंबर समझकर गलत जगह कॉल कर देते हैं।

बाद में फर्जी कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव के तौर पर अपराधी उनसे पर्सनल डिटेल लेकर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे डिजिटल पेमेंट एप्लीकेशंस के ज्यादातर फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाल दिए गए हैं, जिससे ग्राहक खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं। 

11. अलर्ट सूचनाएं चालू रखें

आजकल Google Pay, Phone Pay और Paytm जैसे वॉलेट ऐप्स पर मनी रिक्वेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। यानी कोई भी आपको पेमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट भेज सकता है। जिसके बाद सिर्फ एक क्लिक पर आपके अकाउंट से उस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जाएंगे।

अलर्ट सूचना सुविधा सभी वॉलेट ऐप्स पर उपलब्ध है। जब भी कोई आपके वॉलेट ऐप में लॉग इन करने की कोशिश करेगा तो आपको अलर्ट नोटिफिकेशन मिलेगा, संदेह होने पर आप अनुमति रद्द कर सकते हैं।

12. कुकीज़ हटाना न भूलें

जब भी आप क्रोम और मोज़िला जैसे ब्राउज़रों के माध्यम से भुगतान करते हैं, तो सिस्टम आपको कुकीज़ सक्षम (इनेबल) करने के लिए कहता है। इसके बिना आप पेमेंट भी नहीं कर सकते। जब आप कुकीज़ सक्षम करते हैं, तो आपके विवरण कोडिंग भाषा में ब्राउज़र के सर्वर पर सहेजे जाते हैं।

यदि आप लेन-देन के बाद कुकीज़ नहीं हटाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय हैकर्स के लिए आपका विवरण पढ़ना आसान हो जाता है। इसलिए जब भी आप ब्राउजर के जरिए पेमेंट करें तो ब्राउजर की सेटिंग्स में जाकर कुकीज को डिलीट करना कभी न भूलें।

जानें, सुरक्षित रहने के कुछ मजबूत तरीके क्या हैं?

  • साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि ऑनलाइन फ्रॉड के दो सबसे बड़े कारण है, कार्ड क्लोनिंग और पासवर्ड चोरी हैं। इससे बचने का सबसे बड़ा उपाय है बिना डेबिट/क्रेडिट कार्ड के एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनों में भुगतान की सुविधा देना।
  • इसके बाद स्टेटिक पिन नंबर की जगह हर ट्रांजैक्शन के लिए ओटीपी के रूप में डायनेमिक पिन नंबर जेनरेट किया जाना चाहिए, जिसे एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनों में फीड करके पैसे निकाले जा सकते हैं।
  • SBI द्वारा लॉन्च किए गए YONO ऐप की तरह सभी बैंकों को भी अपना ऐप लॉन्च करना चाहिए। हर बार लेन-देन से पहले, योनो ऐप द्वारा एक नया पिन जनरेट किया जाता है, जिसे देश भर के एटीएम में फीड किया जा सकता है।
  • दूसरा उपाय यह है कि सरकार की BHIM UPI या अन्य बड़ी कंपनियों के UPI का अधिक उपयोग करें, उपभोक्ताओं को डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग कम करना चाहिए।

अगर आप धोखाधड़ी के शिकार हैं तो क्या करें?

आरबीआई के 2017-18 दिशानिर्देशों के अनुसार, धोखाधड़ी की जानकारी दर्ज कराने के बाद लेनदेन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है, यदि संबंधित बैंक को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सूचित नहीं किया जाता है, तो जिम्मेदारी उपभोक्ता की होती है। इस मामले में, बैंक पर वापस करने का कानूनी दायित्व लागू नहीं होता है।

धोखाधड़ी के मामले में तुरंत अपने बैंक के संबंधित अधिकारी को सूचित करें। इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर में जानकारी दर्ज करवायें और दर्ज की गई जानकारी के नंबर को भविष्य के लिए सुरक्षित रखें, ताकि बैंक आपका पैसा आपको वापस कर सके।

ऑनलाइन धोखाधड़ी शिकायत

Online Fraud helpline number : भारत सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 155260 शुरू किया था। साइबर धोखाधड़ी से संबंधित कोई भी शिकायत इस हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज की जा सकती है। इस नंबर की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए की थी। यह भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Center) द्वारा RBI, Payment Banks और अन्य प्रमुख बैंकों की मदद से संचालित किया जाता है।

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अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।